‘रामचरितमानस‘ महाकाव्य
Ramcharitmanas Mahakavya
रामचरितमानस महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का अमर महाकाव्य है। कवि ने भगवान श्रीराम के जीवन की कथा को आधार बनाकर इसमें शास्त्रों का सार तत्व संचित कर दिया है। सबसे मुख्य बात है कि अपने इस महाकाव्य में महाकवि ने पुरुषोत्तम राम का अत्यंत सुन्दर एवं सजीव वर्णन किया है। बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड-‘रामचरितमानस’ में इस प्रकार सात काण्ड है; और राम के जन्म से लेकर राज्यारोहण तक की उनकी शील, शक्ति और सौन्दर्य की भी कथा इन सात काण्डों में कही गई है। इन काण्डों में श्रीराम को गुरु, माता-पिता का आज्ञापालक, प्रजा-वत्सल, कुशल राजनीतिज्ञ, सत्यव्रत का पालक, शरणागत का रक्षक, अन्याय का घोर शत्रु और सभी उदात्त मानवीय गुणों से युक्त बताया गया है। इन्हीं गुणों के कारण श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं और लोकनायक भी। ‘रामचरितमानस’ मात्र आध्यात्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि जन-कल्याणकारी काव्य है। इसी कारण प्रत्येक भारतीय ‘रामचरितमानस’ को अपने घर में रखना तो पसंद करता ही है, इसका अध्ययन-परायण करना भी अपना सौभाग्य मानता है।