रेलगाड़ी
Railgadi
भारतीय रेलवे एशिया की सबसे बड़ी और संसार में चौथे नंबर की सबसे बड़ी रेल-व्यवस्था है। भारत में पहली रेलगाड़ी बंबई से थाना तक (34 कि.मी.) 16 अप्रैल, 1853 में आरंभ हुई थी। और 1868 में अंबाला से दिल्ली के लिए रवाना हुई। जो अब बढ़कर 62,915 किलोमीटर मार्ग तय कर रही है। 6867 स्टेशनों से गुजरती भारतीय रेल प्रतिदिन लगभग 11270 रेलें चलाती है।
रेल के इंजन का आविष्कार सन् 1776 में जेम्स वॉट ने किया था और 1784 में उसको पेटेंट कराया था। जेम्स वॉट ने सर्वप्रथम भाप का इंजन बनाया था। भाप का इंजन बनाने की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब आग पर पतीली में कुछ (अण्डे आदि) उबल रहा था. तब पतीला का ढक्कन भाप बनने के कारण बार-बार ऊपर उठ-उठकर गिर रहा था। जेम्स वॉट ने उस ढक्कन पर कुछ वजन रख दिया. वह ढक्कन फिर भी उठ रहा था। यही देखकर उन्हें भाप की शक्ति का अनुभव हुआ, और फिर उन्होंने भाप के इंजन का आविष्कार कर डाला। आज यह रेलगाड़ी उन्हीं की देन है।
रेलगाड़ी के आविष्कार से पहले लोग घोड़े, गधे, बैलगाड़ी आदि से यात्रा करते थे। अक्सर लोग पैदल यात्रा ही करते थे। वे दिन के उजाले जलते थे और रात होने पर ठहर जाते थे। सुबह होने पर पुनः चल पडते थे।
भारतीय रेल के तीन गेज हैं-ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन), मीटर गेज कोटी लाइन) और नैरो गेज (संकरी लाइन)। रेलवे के पास 7,429 इंजन, 35,650 सवारी डिब्बे और 2,53,186 माल वैगन हैं। भारतीय रेलवे में लगभग 16 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं, जो देश में सभी विभागों की अपेक्षा सर्वाधिक हैं। ब्रॉड गेज (1.676 मी.) 85,429 किलोमीटर लंबा है, मीटर गेज (1 मीटर) 19,158 किलोमीटर लंबा है और नैरो गेज (762 एवं 610 मिलीमीटर) 3,826 किलोमीटर लंबा है।
भारत में सवारी रेलगाड़ियों के अतिरिक्त मालगाड़ियाँ प्रतिदिन लगभग 11 लाख विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई करती हैं। भारतीय रेलवे ने मेट्रो स्टेशन का आरंभ 1984-85 में किया था। सर्वप्रथम यह कलकत्ता (कोलकाता) में एस्प्लेनेड से भवानीपुर के मध्य चली थी। आज मेट्रो दिल्ली में भी दौड़ रही है।
रेलवे के प्रशासन और प्रबंध का काम रेलवे बोर्ड के अधीन है रेलवे बोर्ड एक केन्द्रीय मंत्री की देखरेख में काम करता है। रेलवे बोर में एक चेयरमैन होता है, जो रेलवे मंत्रालय का पदेन मुख्य सचिव होता है। एक वित्त आयुक्त होता है और चार अन्य सदस्य होते हैं, जो भार सरकार में पदेन सचिव होते हैं।
संप्रति, आधुनिक युग में एक शताब्दी पुराना कोयले से चलने वाला भाप का इंजन (कालका-शिमला ट्रैक में) आज भी चल रहा है। यह इंजन 103 साल पुराना है। इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज साइट के तौर पर चुना है। इसके अतिरिक्त अधिकांश रेलगाड़ी डीज़ल और बिजली से चल रही हैं। रेलगाड़ी से यात्रा अधिक आसान और आरामदायक है इसलिए अधिकांश लोग रेल से यात्रा करते हैं। नि:संदेह रेलगाड़ी का आविष्कार मनुष्य के लिए एक वरदान है।