कुतुबमीनार
Qutub Minar
कुतुबमीनार दिल्ली में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन-स्थल है। इसे देखने प्रतिदिन हज़ारों पर्यटक आते हैं। इसे दिल्ली के प्रथम मुस्लिम । शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने सन् 1200 ई० में बनाना प्रारंभ किया। था। लेकिन वह उसका आधार ही बना पाया था। उसकी ऊपर की तान। मंज़िलें कुतुबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने बनवाई आर कुतुबमीनार की आखिरी अथवा पाँचवी मंजिल 1368 ई० में फिरोज़शाह तुगलक ने बनवाई थी। सभी शासकों ने इसका निर्माण मीनार के रूप में ही करवाया था।
कुतुबमीनार एक पाँच मंजिला इमारत है। यह 72.5 मीटर (238 फीट) ऊँची है। इसके नज़दीक ही चंद्रवर्मन द्वारा निर्मित एक लौह स्तंभ है जिसे 1600 वर्षों से जंग नहीं लगा है और न ही यह सड़ा या गला है।
कुछ विद्वानों का मत है कि कुतुबमीनार भारत में मुसलमानों के शासन करने की शुरूआत और विजय का प्रतीक है। और कुछ विद्वानों के अनुसार, कुतुबमीनार अजान (अजाँ) देने के लिए बनवाई गई थी। नि:संदेह, कुतुबमीनार भारत की ही नहीं, विश्व की सबसे उत्कृष्ट और ऊँची मीनार है। इसका आधार (बेसमेंट) 47 फीट है और इसकी शुण्डाकार चोटी 9 फीट है। इसकी चार बालकनी हैं। अन्दर से यह मीनार शिलालेखों से अलंकृत है।
कुतुबमीनार के नजदीक चौथी शताब्दी में निर्मित लौह स्तंभ को हिन्दुओं के देवता भगवान विष्णु के सम्मान में बनवाया गया था। कुछ विद्वानों के मतानुसार, इसे गुप्त वंश के राजा चंद्रगुप्त की याद में बनवाया गया था, जिसने सन् 375 ई० से 413 ई० तक शासन किया था।
दिल्ली के लालकिले की तरह कुतुबमीनार को भी यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में स्थान मिला है। इसलिए संपूर्ण संसार में यह सुविख्यात है। विश्व के कोने-कोने से इसे देखने पर्यटक आते हैं। विश्व की जिन अद्भुत एवं अनुपम इमारतों तथा प्राचीन स्मारकों या रेलगाड़ी आदि को यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट में स्थान मिला है, वे सभी दुनिया भर की आँखों का तारा बन गए हैं। प्रत्येक व्यक्ति उन्हें देखना चाहता है। क्योंकि यनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट में अद्वितीय स्थानों, स्मारकों आदि कोही स्थान दिया जाता है।
कुतुबमीनार उन्हीं अद्वितीय स्मारकों में से एक है। यह 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है, परंतु आज भी यह अत्यंत आकर्षक एवं मनमोहक है। इसे हज़ारों पर्यटक प्रतिदिन देखने आते हैं।