मेरे पड़ोसी
Mere Padosi
Essay # 1
मैं नई दिल्ली में रहता हूँ। यहाँ हमारा अपना घर है। हमारे पड़ोसा हमीद अली एवं उनकी पत्नी नसीम अली बहुत अच्छे लोग हैं। श्री अली का अपना व्यवसाय है जबकि उनकी पत्नी घर पर ही रहती हैं।
उनका परिवार छोटा-सा है। उनके अलावा, जीनत एवं जावेद उनके दो बच्चे हैं। जीनत मेरी हमउम्र एवं एक अच्छी दोस्त है। हमलोग एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। जावेद हम से छोटा है और उसने अभी विद्यालय जाना शुरू नहीं किया है।
वे सभी अच्छे और सज्जन लोग हैं एवं हमसे उनकी अच्छी निभती है। हमारे मोहल्ले में सब उन्हें पसन्द करते हैं। त्योहार एवं अन्य विशेष अवसरों पर हम एक-दूसरे को मिठाई एवं उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। पिछले वर्ष जब श्री अली अपने व्यवसाय के सिलसिले में सिंगापुर गये थे तो हमारे लिये वहाँ से बहुत-से उपहार लाये थे।
जब भी श्री अली काम से बाहर जाते हैं तो उनके बच्चों एवं पत्नी के एकाकीपन को दूर करने के लिये हम उनके घर जाते हैं। उनको पड़ोसी के रूप में पाकर हम प्रसन्न हैं।
मेरे पड़ोसी
My Neighbour
Essay # 2
मेरे पड़ोस में मिले-जुले किस्म के लोग रहते हैं । मेरे कुछ पड़ोसी समझदार और सुशील हैं । मेरे कुछ अन्य पड़ोसी दूसरों की जरा भी परवाह नहीं करते हैं । वे अपनी ही चाल चलते हैं। मेरी पढ़ाई के समय शोर मचाना उनकी पुरानी आदत है । जब उनकी मर्जी होती है, भड़काऊ संगीत बजाना आरम्भ कर देते हैं । शिकायत करने पर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है । एक शराबी पड़ोसी अपने घर में नित्य ही मार-पीट करता है । इससे पड़ोस की शांति भंग हो जाती है । दूसरी ओर मेरे दो पड़ोसी ऐसे भी हैं जो सज्जनता और करुणा के अवतार लगते हैं। पड़ोस में किसी का भी दुःख उनसे नहीं देखा जाता । पड़ोस का बच्चा बीमार हो तो दौड़े चले आते हैं। किसी पर संकट आया हो तो सहायता कार्य में जुट जाते हैं। ऐसे पड़ोसियों को कौन पसंद नहीं करेगा ? काश ! हमारे सभी पडोसी इन्हीं के समान अच्छे विचारों वाले होते ।