Hindi Essay, Paragraph on “Mere Mitra ki Seekh”, “मेरे मित्र की सीख”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरे मित्र की सीख

Mere Mitra ki Seekh

मेरा प्रिय मित्र श्रीनिवास बहुत ही सज्जन एवं सदाचारी है। वह कभी किसी की बुराई नहीं करता, और न ही कभी किसी की चुगली करता है। हम स्कूल में पहले बहुत ही सहमे-सहमे रहते थे। खाना भी हम अकेले ही खाते थे। लेकिन जब से मुझे श्रीनिवास मिला है तब से मैं अब अकेला नहीं रहता। हम दोनों मिलकर पढते हैं, आते हैं, जाते हैं और खाना भी साथ मिलकर ही खाते हैं। श्रीनिवास का कहना है कि खाना सदैव मिलकर ही खाना चाहिए। इससे हमारे बीच प्यार तो बढ़ता ही  है साथ ही हमें कई प्रकार की सब्जी या दाल खाने को मिल जाती शरीर की पौष्टिकता और ऊर्जा भी बढ़ती है। उसकी यह सीख अत्यंत अच्छी लगी। तब से मैं उसके एवं अन्य मित्रों के साथ मिलकर खाना खाता हूँ। बड़ा आनंद आता है। प्रतिदिन तरह-तरह की सब्जियाँ खाने को मिलती हैं। कभी कोई लड्डू लेकर आता है, तो लड्डू खाने को मिलता है, कभी कोई कुछ और अच्छी चीज़ लाता है, तो वह खाने को मिलती है। इस प्रकार साथ मिलकर काम करने के अनेक लाभ हैं। यह सीख मैं प्रत्येक मनुष्य को देना चाहता हूँ जिससे कभी कोई लडे-झगड़े नहीं, और सभी मनुष्य प्रेम एवं शांति से रहें।

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