Hindi Essay, Paragraph on “Mele ki Sair  ”, “मेले की सैर”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेले की सैर

Mele ki Sair 

भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में मेलों का विशेष महत्व है। में विशेष अवसरों पर जगह-जगह मेले लगते रहते हैं। इन मेलों में हमारा भरपर मनोरंजन होता है, वहीं इन मेलों में धार्मिक, सामाजिक सांस्कृतिक परंपराओं का परिचय भी मिलता है।

कषि प्रधान देश होने के कारण भारत में कृषि-मेलों का भी आयोजन होता है। कृषि-प्रदर्शनी को कृषि मेला भी कहा जाता है। छोटे-छोटे गाँवों में पैंठ’ लगती है, पैंठ को भी एक प्रकार का कृषि मेला कहा जा सकता है। पैंठ में दूर-दूर से लोग आते हैं और अपने पशुओं की खरीद-फरोख्त करते हैं।

सभी जानते हैं कि भारत गाँवों का देश है। भारत की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है। उनका मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी है। अतः किसानों को कृषि के नए-नए तरीकों से परिचित कराने के लिए जब कृषि मेलों का आयोजन किया गया, तो इस कृषि मेले को हम भी देखने गए। यह मेला नई दिल्ली के प्रगति मैदान में लगा था। कृषि मेले में घुसते ही एक कृषि विशेषज्ञ हमारे साथ हो लिया। वह हमें मेले के हर मण्डप में ले गया। हमने इन मण्डपों में अच्छे बीजों, तरह-तरह की खाद, सिंचाई के साधन, नलकूप, नए ढंग के कृषि-यंत्र, ट्रैक्टर आदि की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। एक मण्डप में हमें एक फिल्म दिखाई गई कि किस-किस मौसम में हमें कौन-कौन सी फसल बोनी चाहिए। हमें बताया गया कि अब सरकार किसानों को कषि सधारने के लिए हर संभव मदद दे रही है। सरकार कम कीमत पर खाद और अच्छे बीज ६ रही है और निर्धारित दामों पर किसानों से अनाज खरीदने को तैयार है। वहाँ मेले की रौनक का हमने भरपूर आनंद लिया।

इस मेले में मनोरंजन का कदम-कदम पर पूरा ध्यान रखा गया था। यहाँ कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया था। जैसे-कठपुतली का नाच, राजा हरिशचंद्र का नाटक आदि। इसके अलावा वहाँ बच्चों के लिए झूले भी लगे हुए थे। अपने पिताजी से ज़िद करके मैं वहाँ कई बार झूले में झूला। मैंने वहाँ आईसक्रीम खाई, पापड़ खाया, गोलगप्पे खाए और एक बांसुरी भी खरीदी। मैंने वहाँ खूब मज़े किए। मेले में और भी तमाम बच्चे थे जो अपने माता-पिता के साथ आए थे। वो मेले की सैर मैं कभी नहीं भुला सकता।

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