मथुरा-वृंदावन
Mathura Vrindavan
मथुरा यमुना नदी के तट पर बसा एक प्रमुख तीर्थ-स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है। इसे ब्रजभूमि भी कहते हैं। सप्त महापुरियों में इसकी गणना है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म-स्थान मथुरा ही है। यहाँ कई प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं-द्वारिकाधीश, पिपलेश्वर, रंगेश्वर, गोकर्णेश्वर और भूतेश्वर। पवित्र कुण्ड और घाट भी यहाँ के प्रसिद्ध स्थल हैं। इसके अलावा कनखल तीर्थ, रंगभूमि, सति भुर्ज, कंस किला, सरस्वती संगम, गोकुल, गोवर्धन एवं वृंदावन अन्य आकर्षण हैं। यह दिल्ली से 145 किलोमीटर तथा आगरा से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। वृंदावन की कुंज गलियाँ तो जगत-प्रसिद्ध हैं। वृंदावन, मथुरा से 9.6 कि.मी. पर स्थित है।
मथुरा जिला उत्तर प्रदेश का एक प्रशासनिक केन्द्र भी है। प्राचीन काल में मथुरा एक आर्थिक केन्द्र था। इसे कृष्ण जन्मभूमि भी कहते हैं। महाभारत और भागवत पुराण के अनुसार, मथुरा सूरसेन राज्य की राजधानी था, जिस पर कृष्ण का मामा कंस शासन करता था।
मथुरा का प्राचीन नाम मधुबन था, क्योंकि यहाँ घने जंगल था। मधुबन से इसका नाम मधुपुरा हुआ और बाद में मथरा हो गया। कुषाण वंश के शासनकाल में मथुरा अपनी कला और संस्कृति के उच्च शिखर पर था। प्रथम और तृतीय शताब्दी में मथरा कषाण वंश की दो राजधानिया में से एक था। मथुरा म्यूज़ियम (संग्रहालय) में लाल पत्थरों की प्रतिमाओं एशिया का सबसे बड़ा संग्रह है जिसमें बुद्ध की अनेक प्रतिमाएं हैं। 100 ई० में फाह्यान ने मथुरा को बुद्ध का केन्द्र बताया था और ई० में वेन सांग ने भी मथुरा को ‘मोतुलो’ कहा था और लिखा कि यहाँ बुद्ध के 20 मठ हैं। अत: उस समय मथुरा बौद्ध प्रतिमाओं के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
आज मथुरा में हज़ारों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं। इनमें सैकडों विदेशी पर्यटक भी होते हैं। ये सभी पर्यटक यहाँ कृष्ण जन्मभूमि, द्वारिकाधीश आदि मंदिरों के दर्शन अवश्य करते हैं। इसके अलावा वे वृंदावन के बाँके बिहारी और रंगजी मंदिरों के दर्शन भी बड़ी श्रद्धा से करते हैं। हज़ारों पर्यटक प्रतिदिन गोवर्धन की परिक्रमा लगाने आते हैं। जिसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी एक उंगली पर सात दिन तक उठाए रखा था और अत्यधिक जल-वृष्टि से मथुरा-वासियों की रक्षा की थी।
मथुरा-वृंदावन को लोग परमधाम भी कहते हैं अर्थात् परमेश्वर का धाम। यहाँ कभी परमेश्वर ने जन्म लिया था और दुनिया को कंस जैसे नराधमों से मुक्त किया था। इसके अलावा उन्होंने मथुरा-वृंदावन में गोपियों के साथ रासलीला भी की थी, जो मथुरा एवं अन्य स्थानों पर लोग आज भी करते हैं। इसलिए भारत में ही नहीं, संपूर्ण विश्व में मथुरा-वृंदावन सुविख्यात है।
आज पूरा विश्व मथुरा-वृंदावन में होने वाली श्रीकृष्ण लीलाओं का आनंद लेता है और मथुरा-वृंदावन का भ्रमण करके स्वयं को धन्य समझता है।