मानव शरीर
मानव शरीर एक अजूबा है। चमत्कार है। मानव इस पृथ्वी का सबसे विकसित जीवित प्राणी है। मानव शरीर एक मशीन की तरह है।
इसे रोगों और बीमारियों से बचाने के लिये मानव शरीर की सम्पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। चिकित्सा विज्ञान ने हमारे शरीर के कई रहस्यों को खोला है। जितना हम इसके बारे में जानते जाते हैं वह उतना ही हमें आकर्षित करता रहता है। अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो हम नहीं जानते अथवा समझ नहीं सकते।
मानव कंकाल एक पिंजरे की तरह है। यह शरीर को आवश्यक सहारा देता है। हमारे नाजुक अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है। एक वयस्क मानव के शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं। हड्डियाँ फॉसफोरस और कैलशियम से बनती हैं। एक संदूक की तरह दिखने वाली खोपड़ी हमारे मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करती है।
मांसपेशियाँ मांस को संघटित करती हैं। हमारे शरीर में 600 से अधिक मांसपेशियाँ हैं। हमारी सभी क्रियायें मांसपेशियों के सिकुडने और प्रसार के कारण होती हैं।
कोशिकाएँ शरीर की मूल इकाई होती हैं। ये कोशिकाएँ भोजन, पानी व मांस द्वारा ली गई ऑक्सीजन से पोषित होती हैं। कार्य करते समय कोशिकाएँ टट या घिस जाती हैं किन्तु पर्याप्त आराम करने पर उनकी टूट-फूट में सुधार हो जाता है।
शरीर में रक्त-संचरण तन्त्र. श्वसन तन्त्र, पाचन तन्त्र एवं तन्त्रिका तन्त्र इत्यादि व्यवस्थायें हैं। ये सभी अत्यन्त जटिल हैं मगर प्रत्येक तन्त्र अपनी भूमिका दूसरे के सहयोग से निभाता है। मानव हृदय एवं मस्तिष्क दोनों अपने आप में आश्चर्यजनक रचनायें हैं। दोनों बहुत जटिल होते हुये भी हमारे शरीर के बहुत प्रभावी अंग हैं।
शरीर स्वस्थ रहने के लिये इन सब अंगों एवं तन्त्रों का एक साथ ठीक से काम करना आवश्यक है।