किसान की आत्माकथा
Kisan ki Aatmakatha
भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है। भारत के अनेक धंधे कृषि पर निर्भर हैं। किसान वर्ग देश की अर्थ-व्यवस्था एवं भारतीय जनता की सुख-समृद्धि का मूलाधार है। किसान भारत की जनता का अन्नदाता, पालनकर्ता एवं जीवन का आधार है। अन्य देशों की अपेक्षा भारत में किसानों का अधिक महत्व है।
भारत के किसान की दशा अत्यंत सोचनीय है। दुबला-पतला शरीर, जीर्ण-शीर्ण वस्त्र-यह है भारत के अन्नदाता का चिह्न! उसका खान-पान रुखा-सूखा भोजन और रहन-सहन बिल्कुल सादा है। उसके पास रहने के लिए झोंपड़ी है, पढ़ने का कोई काम नहीं, कोई मनोरंजन नहीं-यह है किसान का जीवन!
भारतीय किसान का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। वह प्रात:काल उठकर हल-बैल को साथ लेकर अपने खेत में पहुँच जाता है। जाड़ा, गर्मी, बरसात और आँधी-तूफान में वह हमेशा अपने में लगा रहता है। उसका खाना-पीना, नहाना-धोना और विश्राम पर ही होता है। वह कभी हल जोतता है, कभी बीज बोता है. कभी ही मींचता है और कभी फसल काटता है। इतना परिश्रम करने के बाद अरसे भरपेट भोजन नहीं मिलता। गरीबी ने उसे कांतिहीन बना दिया है। धनाभाव ने उसे महाजनों का कर्जदार बना दिया है।
संसार को अन्न देने वाले किसान को गँवार कहा जाता है। उसके छोटे-छोटे बच्चे स्कूल न जाकर खेती के काम में हाथ बँटाते हैं। वह निर्धनता के कारण पुराने ढंग से खेती करता चला आ रहा है। ट्रैक्टर, ट्यूबवैल, रासायनिक खाद और उत्तम बीज का वह उपयोग नहीं कर पाता। छोटा किसान आज भी बैल के सहारे खेती कर रहा है।
किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता। हालांकि सरकार न्यनतम मल्य निर्धारित कर देती है. फिर भी किसानों तक उसका लाभ नहीं पहुँच पाता, व्यापारी उनसे पहले ही फसल खरीद लेते हैं। फिर भी सरकारी प्रयत्नों के फलस्वरूप कृषि में पर्याप्त सुधार हुआ है।
शिक्षा के प्रसार के लिए स्थान-स्थान पर विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं। प्रौढ़ों की शिक्षा के लिए प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र खोले जा रहे हैं। गाँवों को रेलमार्ग और सड़कों से जोड़ा जा रहा है। हर गाँव में बिजली पहुँचाई जा रही है। अनाज खरीदने के लिए सरकारी क्रय केन्द्र खोले जा रहे हैं। फिर भी किसानों की दशा दयनीय है।
आज गाँवों में ऐसी शिक्षा दी जाने की आवश्यकता है जिससे किसानों के बच्चे शहरों में नौकरी की ओर न दौड़कर अपनी शिक्षा का उपयोग कृषि-कार्यों में कर सकें।
भारतीय किसान भारत की अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ नींव है। अतः उसकी दयनीय दशा के रहते भारत की प्रगति नहीं हो सकती। डा का ध्यान रखना भी अत्यावश्यक है कि सरकारी सुविधाएँ किसानों पहँच रही हैं अथवा नहीं। अंतत: किसान की उन्नति भारत की उन्नति है।