हवाई जहाज़
Hawai Jahaz
प्राचीन हिन्दू ग्रंथों और पुराणों को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि आज से हज़ारों-लाखों वर्ष पूर्व भी हवाई जहाज़ थे जिन्हें विमान कहते थे। इनमें पुष्कर विमान सुप्रसिद्ध है जिसमें बैठकर पहले देवता आते-जाते थे, फिर रावण ने इसका खूब प्रयोग किया। रावण की मृत्यु के पश्चात् राम, लक्ष्मण और सीता पुष्कर विमान द्वारा अयोध्या वापस आए थे।
विज्ञान के इस आधुनिक युग में हवाई जहाज़ का आविष्कार पक्षियों को देखकर (विशेषकर चील) किया गया। हवाई जहाज़ बनाने का प्रथम रिकॉर्ड युआन हुआंगतू के नाम है। जिसने छठवीं सदी में हवाई जहाज़ उड़ाने का प्रयास किया था और नौवीं सदी में अब्बास इब्न फिर्नास ने प्रयास किया था। सन् 1502 में लियोनार्डो द विंसी ने पक्षी के पंखों जैसा । हवाई जहाज़ बनाया, तो 1603 में लागरी हसन पिलेटर डी रोजर एव
फ्रांकोइस डी अर्लान्डीस ने ऐसा हवाई जहाज़ बनाया जो हवा से भी हल्का था। वह गुब्बारा था। परंतु यात्री लेकर उड़ने वाला हवाई जहाज़ 1853 ई० में बना, जिसे सर जॉर्ज कैले ने बनाया था। 28 अगस्त, 1883 को अमरीकी जॉन जे. मोंटगोमरी ने ऐसा हवाई जहाज़ बनाया जिसे ऊपर हवा में ही नियंत्रित किया जा सकता था। परंतु 17 दिसंबर, 1903 को राइट ब्रदर्स ने हवा से भी हल्का ऐसा हवाई जहाज़ बनाया जो हवाई उड़ान में एक पूर्ण सफल प्रयास था जो पूरी तरह नियंत्रित था। इस प्रकार इस क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति होती चली गई और एक से बेहतर एक हवाई जहाज़ तथा जेट विमान बनते चले गए।
रॉकेट के बाद सबसे तेज़ चलने वाला हवाई जहाज़ ही है। कमर्शियल जेट एयरक्राफ्ट 1000 कि.मी. प्रति घण्टे की गति से उड़ता है और एक इंजन वाला साधारण हवाई जहाज़ 425 कि.मी. प्रति घंटे की गति से चलता है। इसी प्रकार सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट (जो मिलिट्री के काम आता है) ध्वनि की गति से भी तेज़ उड़ता है। सबसे बड़ा हवाई जहाज़ है-एम-225 और सबसे तेज़ चलने वाला है-मिकोयान मिग-31।
आज वैज्ञानिकों ने ऐसे भी हवाई जहाज़ बना दिए हैं जो बगैर पायल के उड़ते हैं, जो सेना में लड़ाई के अलावा जासूसी के काम भी आने हैं। हवाई जहाजों में ब्रेक का इस्तेमाल ज़मीन पर चलते समय उसे या गति को धीमा करने तथा उसे ज़मीन पर चलते समय घुमाने के लिए किया जाता है।
एक हवाई जहाज़ में एक से अधिक पायलटों की आवश्यकता होती है जो उसे नियंत्रित करते हैं। अन्य एयरक्राफ्ट (विमान) की अपेक्षा जेट विमान की क्षमता एवं गति सबसे अधिक होती है। उड़ते समय यह अधिक शोर भी करता है। आज के युग में एक हवाई जहाज़ 500 से अधिक यात्रियों को ले जाने और 17000 कि.मी. तक उड़ने की क्षमता रखता है। कुछ विमानों को केवल सामान लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें कार्गो एयरक्राफ्ट कहते हैं।
भारत में एअर इंडिया और इंडियन एअरलाइन्स की स्थापना सन् 1953 में हुई। जहाँ एअर इंडिया के पास 26 वायुयान हैं, वहीं इंडियन एअरलाइन्स 79 घरेलू उड़ानें तथा 16 अंतर्राष्ट्रीय (14 देशों की) उड़ानें भरती है। इसके अतिरिक्त पवनहंस हेलीकॉप्टर है जो यात्रियों को दुर्गम स्थानों पर ले जाने के लिए प्रसिद्ध है।
आजकल अन्य निजी कंपनियाँ भी वायु परिवहन की स्पर्धा में भारत में आ गई हैं। जैसे-गो एअरलाइन्स, सहारा एअरलाइन्स आदि। आज कई वैज्ञानिकों ने तो ऐसे पंखों का भी आविष्कार कर दिया है जिन्हें लगाकर आदमी पक्षियों की तरह उड़ भी सकता है। निष्कर्षतः आज वायु परिवहन अपने चरमोत्कर्ष पर है।