Hindi Essay, Paragraph on “Haridwar”, “हरिद्वार”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

हरिद्वार

Haridwar 

हरिद्वार एक पवित्र शहर है, जो उत्तराखण्ड राज्य में है। हिन्दी में इसका अर्थ है-“हरि का द्वार” अर्थात् ईश्वर का दरवाजा। हरिद्वार हिन्दुआ का सातवाँ सबसे पवित्र स्थान है। गौमुख यहाँ से 253 कि.मी. दूर है। गौमुख से निकलकर सर्वप्रथम गंगा यहीं से होकर गुजरी थी। इसलिए प्राचीन काल में हरिद्वार को गंगा का द्वार कहा जाता था।

हिन्दू पुराणों के अनुसार, हरिद्वार चार स्थानों में से वह स्थान है, जहाँ सर्वप्रथम अमृत-कलश से अमृत छलका था। यहाँ अमृत तब गिरा था, तब समुद्र-मंथन के बाद स्वर्गीय पक्षी गरुड़ अपने पंजों से पकड़कर अमृत-कलश को ले जा रहा था। यहाँ कुम्भ का मेला भी लगता है। इसके अतिरिक्त उज्जैन, नासिक और इलाहाबाद में भी अमृत छलका था। ये भी पवित्र स्थल हैं और यहाँ भी प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार कुम्भ का मेला लगता है। इसके अलावा इलाहाबाद में प्रयाग में 12 वर्ष बाद महाकुम्भ का मेला लगता है। यहाँ लाखों पर्यटक एवं भक्त आते हैं तथा गंगा नदी में स्नान करते हैं।

हरिद्वार में जहाँ अमृत गिरा था, उस स्थान को ब्रह्म कुण्ड अथवा हरि की पौड़ी कहते हैं जहाँ भगवान विष्णु के चरण पड़े थे। ऐसा माना जाता है कि यहाँ गंगा में नहाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष मिल जाता है।

28 दिसंबर, 1988 को हरिद्वार जिला बना था, जो सहारनपुर मण्डल का भाग था और 9 नवंबर, 2000 को यह भारत के 27वें राज्य के रूप में उत्तराखण्ड का हिस्सा बन गया। हरिद्वार को चार धामों का-बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री प्रवेश-द्वार भी कहा जाता है। पुराणों में इसे कपिलस्थान, गंगद्वार और मायापुरी भी कहते हैं। धौम्य मनि युधिष्ठिर को यहाँ भारत के तीर्थों के बारे में बताया था, तो इसका ना. गंगद्वार पड़ गया। फिर जब कपिल मुनि ने यहाँ अपना आश्रम बनाया तो इसका नाम कपिलस्थान पड़ गया। इसी प्रकार 16वीं सदी में मुग़ल सम्राट अकबर ने इसे मायापुरी नाम से संबोधित किया था।

प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार स्वर्ग के समान है। हरिद्वार भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक आदर्श उदाहरण है। अकबर ने जब हरिद्वार की गंगा का जल पिया था तब उसे ‘अमृत’ बताया था। मुगल काल में. हरिद्वार में अकबर की टकसाल भी थी जिसमें तांबे के सिक्के ढाले जाते थे। एक अंग्रेज़ यात्री थॉमस कोर्यात मुगल सम्राट जहाँगीर के शासनकाल (सन् 1596 से 1627) में जब भारत आया, तो उसने हरिद्वार को भगवान शिव की राजधानी कहा था।

हरिद्वार सन् 1886 ई० में रेलवे मार्ग से जुड़ा था। यहाँ गुरुकुल भी हैं। आज भी यहाँ प्राचीन काल की गुरु-शिष्य परंपरानुसार शिक्षा दी जाती है। यहाँ शांति कुंज है, जिसे श्रीराम आचार्य ने बनवाया था। ध्यान-योग, योगासन, यज्ञ एवं अन्य धार्मिक संस्कारों का यह प्रमुख केन्द्र है।

अत: हरिद्वार भारत का ऐसा पर्यटन स्थल है जहाँ पर्यटक को गंगा। नदी, ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला और पहाड़ों पर मनसा देवी के अलावा भारतीय संस्कृति के भी दर्शन हो जाते हैं। यहाँ प्रतिदिन हज़ारों पर्यटक आते हैं और गंगा स्नान करके अपना जीवन कृतार्थ करते हैं।

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