फैरी वाला
Feri Wala
भारत में हर स्थान पर फेरी वालों को देखा जा सकता है। वह एक सामान्य दुकानदार की तरह होता है। उन दोनों में यही अन्तर है कि फेरी वाले की एक स्थायी दुकान नहीं होती जहाँ से वह अपना सामान बेचे। या तो वह अपना सामान एक रेहड़ी पर रखता है या फिर सड़क के किनारे कहीं पर। कुछ फेरी वाले सडक के किनारे अपनी दुकान लगाने की स्थायी व्यवस्था कर लेते हैं तो अन्य फेरी वाले एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते है.
सामान्यत: वे ग्राहकों तक सामान लेकर जाते हैं। जैसे कि सब्जी बेचने वाला, जो सब्जियों को रेहड़ी पर उठा कर एक से दूसरे मोहल्ले में घूमता है। इससे ग्राहक प्रतिदिन बाज़ार जाने की परेशानी से बच जाते हैं।
फेरी वाले हर चीज़ बेचते हैं, सब्जियाँ, फल, कपड़े, प्लास्टिक का सामान, ब्रेड-अण्डे, अचार, अगरबत्ती-धूप से लेकर दूध और आइसक्रीम भी। हर फेरी वाले का आवाज़ लगाने का एक अलग तरीका होता है जिससे वह अपने आने की सूचना देता है। समय के साथ हम उनकी आवाज़ पहचान जाते हैं।
फेरी वाला अपनी जीविका कमाने के लिये बहुत मेहनत करता है। उनकी दुकानें किसी एक जगह निश्चित नहीं होतीं, अत: उन्हें जगह-जगह सामान उठाकर घूमना पड़ता है। गर्मी हो, सर्दी हो या बरसात का मौसम, फेरी वाले खुले आसमान के नीचे अपना काम करते रहते हैं। आवाज लगाते रहते हैं। लोगों को घर बुलाकर या उनके घर पर जाकर सामान देते और बेचते रहते हैं।