बॉक्सिंग का खेल
Boxing ka Khel
दो मुक्केबाज (बॉक्सर) हाथों में दस्ताने पहनकर जब अखाड़ में लड़ते हैं, उसे बॉक्सिंग अथवा मुक्केबाजी कहते हैं। यह एक अन्तराष्ट्रीय खेल है। यह खेल विश्वभर में खेला जाता है। इस खेल में दस्तानों (ग्लोब्ज) के साथ सिरस्त्राण (हैड-गार्ड) भी पहना जाता है।
प्राचीन काल में रोम में यह खेल लोहे के दस्ताने पहनकर खेला जाता था। फिर मुक्केबाजी के दौरान प्रतिद्वंद्वी की कनपटी पर मुक्का (घूसा) पड़ता था तो उसकी मृत्यु भी हो जाती थी। परंतु चौथी शताब्दी में यह खूनी खेल पूर्णरूप से बंद हो गया।
बॉक्सिंग खेलने का अखाड़ा (रिंग) कम-से-कम 3.66 मी. वर्ग (14 फीट वर्ग) और अधिक से अधिक 6.10 मी. वर्ग (20 फीट वर्ग) का होता है। इसके चारों ओर रस्सी बँधी होती है जो बॉक्सर की सुरक्षा के लिए होती है। बॉक्सिंग (मुक्केवाजी) बहुत ही साधारण खेल है। जो मुक्केबाज कमर से ऊपर जितने अधिक मुक्के मारता है-सीधे मुँह में या बगल में वह उतने ही अधिक अंक पाता है।
सभी मुक्केबाज रेफरी की आज्ञा के निर्देशों का पालन करते हैं। रेफरी को पूर्ण अधिकार होता है कि यदि उसे अनुभव हो जाए कि मुक्केबाज खेलने योग्य नहीं है, तो वह उस प्रतियोगिता को रद्द कर सकता है या रोक सकता है। जब प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है, तो रेफरी विजेता का हाथ पकड़कर ऊपर उठा देता है। खेल के प्रत्येक दौर में कुछ निश्चित अंक होते हैं जो उस दौर (राउंड) के विजेता को दिए जाते हैं। अमेच्योर बॉक्सिंग के दौर में विजेता को 20 अंक मिलते हैं और उसके प्रतिद्वंद्वी को थोड़े ही अंक मिलते हैं। जब दोनों मुक्केबाज समान खिलाड़ी होते हैं तो दोनों को 20-20 अंक मिलते हैं। प्रोफेशनल बॉक्सिंग के भी नियम होते हैं। यदि दोनों खिलाड़ियों का स्कोर समान होता है तो ड्रॉ हो जाता है।
एक मुक्केबाज को तुरंत प्रतिक्रिया, तीव्र गति और अपने प्रति पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है। पंच (घुसा) (धक्का), हल्का किन्तु तेज़ पंच (घूसा), हूक (ज़ोर का मुक्का, अक्पा सिर पर) और अपर कट (मुँह के नीचे प्रहार) आदि मुक्केबाजी के मुख्य दाँवपेंच हैं।
मुक्केबाजी में भारत आज अग्रणी है। भारत ने बॉक्सिंग में (सन 2008 के ओलंपिक में) कांस्य पदक जीता था। भारत के खिलाड़ी, यदि इसी प्रकार लगन एवं उत्साह से खेलते रहे, तो निश्चय ही वे सन् 2012 के अगले ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक अवश्य जीतेंगे।
बॉक्सिंग चीन में भी खेली जाती है, उसे लोग वहाँ मार्शियल आर्ट कहते हैं। वहाँ पहले बॉक्सिंग को आत्म-रक्षा एवं शरीर-सौष्ठव (बॉडी-बिल्डिंग) के लिए प्रयोग करते थे। फिर वहाँ इसे सिपाहियों को सिखाया गया था। फिर बाद में इसे खेल का दर्जा दिया गया।
पहले बॉक्सिंग बेशक खतरनाक खेल रहा हो, परंतु आज यह खेल अत्यंत लोकप्रिय और सबका पसंदीदा खेल बन गया है। लोग इस खेल में रुचि लेने लगे हैं। नि:संदेह, भविष्य में यह खेल क्रिकेट की तरह बहुचर्चित और आम हो जाएगा। बच्चे गली-गली में यह खेल खेलेंगे।