विज्ञान – वरदान या अभिशाप
Vigyan – Vardan ya Abhishap
निबंध नंबर :- 01
विज्ञान वरदान है या अभिशाप यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर देना आसान नहीं है क्योंकि मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विज्ञान को साधन बनाकर अनेक प्रकार के आविष्कार किए और अपने स्वार्थों के कारण उसका दुरुपयोग करते हुए उसे अभिशाप बना दिया। जिस तरह शक्ति को लाभदायक या हानिकारक, क्या है नहीं कहा जा सकता। उसी तरह विज्ञान वरदान है या अभिशाप यह कहना कठिन है। विज्ञान तो एक शक्ति है, जो जीवन रक्षक भी है और जीवन भक्षक भी। आर्केडियन फ़रार लिखते हैं- “विज्ञान ने अँधों को आँखें दी हैं और बहरों को सुनने की शक्ति। उसने जीवन को दीर्घ बना दिया है, भय को कम कर दिया है। उसने पागलपन को वश में कर लिया है और रोग को रौंद डाला है।” यह उचित सत्य है। विज्ञान की सहायता से चिकित्सा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वरदान प्राप्त हुए हैं। असाध्य रोगों के इलाज ढूँढ लिए गए हैं। कई बीमारियों को समूल नष्ट कर दिया गया है। लूले-लँगड़ों को नए अंग तक लगाने का प्रबंध किया गया है। आँखें, फेफड़े तथा खून तक बदलने की व्यवस्था हो गई है। अकाल मृत्युदर कम कर ली गई है। आयु दीर्घ और जीवन स्वस्थ तथा सुंदर बना दिया गया है। विज्ञान ने दूरदर्शन, रेडियो, आडियो, चलचित्र आदि के द्वारा मनुष्य के नीरस जीवन को रसीला बना दिया है। चौबीसों घंटे चलने वाले कार्यक्रम, रसीले व्यंजन, रंगीन और काफ़ी दिनों तक चलने वाले मनभावने वस्त्र, सौंदर्यवर्धक साधन आदि के साथ-साथ बहुमंजिली इमारतें, भवन, विविध यंत्र आदि के निर्माण से जीवन को सुखद बना दिया है। खेल, कृषि, व्यवसाय हर एक क्षेत्र में विज्ञान का बोलबाला है। इसके अभिशाप होने की सूची चाहे लंबी नहीं है लेकिन खतरनाक अवश्य है। पर्यावरण प्रदूषण आज की ज्वलंत समस्या विज्ञान की ही देन है। अत्यधिक उत्पादन, अत्यधिक औद्योगीकरण, प्रकति से छेड़छाड़, शहरीकरण विज्ञान की ही देन है जिस कारण शहरों और गाँवों का प्राकृतिक रूप बिगड़ रहा है। प्रदूषण की बढ़ती समस्या से शुद्ध हवा का मिलना दूभर हो गया है। अनेक प्रकार की बीमारियों का साम्राज्य फैल रहा है। कृत्रिम खाद के प्रयोग से साग-सब्जी, फल आदि दूषित हो रहे हैं। विज्ञान के आधार पर ऐसे-ऐसे ख़तरनाक बम तैयार कर लिये गए हैं कि सारी धरती के प्राणी एक बम के चलने से नष्ट हो सकते हैं। आज का वैज्ञानिक मानव स्वार्थी छली, कपटी एवं विलासी हो गया है। मानवीय गुणों से उसका नाता टूट रहा है। वह स्वयं की धरती का मसीहा समझने की भूल कर रहा है। विज्ञान द्वारा मिले साधनों से वह आलसी, निकम्मा और बेकार हा गया है। उसकी यह बेकारी उसकी जाति के विकास एवं उत्थान के लिए खतरनाक है। सच बात तो यह है कि जब कि मनुष्य विज्ञान का सदुपयोग करेगा तब तक विज्ञान उसके लिए वरदान बना रहेगा, लेकिन उसका दुरुपयोग उसके। लिए अभिशाप बन कर उसका समूल नष्ट कर देगा। विज्ञान तो मनुष्य के लिए भस्मासुरी वरदान है। जब तक सूझ-बूझ से मनुष्य विज्ञान का उपयोग करेगा तब तक कल्पवृक्ष की तरह विज्ञान उसे फल देगा, अन्यथा कब धरती पर से प्राणी-लीला समाप्त हो जाए कहा नहीं जा सकता।
निबंध नंबर :- 02
विज्ञान – एक वरदान या अभिशाप
Vigyan Ek Vardan ya Abhishap
विज्ञान ने हमें जीवन के हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक सुविधाएँ प्रदान की हैं, जिनके कारण स्वर्ग को धरती पर उतारने की कवि की कल्पना साकार हो चुकी है। विज्ञान के द्वारा आज अंधों को आँखें, बहरों को कान और लंगड़ों को पाँव प्राप्त हो रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा कुरूपों का रूप मिल जाता है। चिकित्सा क्षेत्र में एक्स-रे यंत्र एक वरदान ही है जिसक द्वारा शरीर के गुप्त रोगों का पूर्ण ज्ञान हो जाता है और असाध्य रोगा क निवारण के लिए ऐसी औषधियाँ बन चकी हैं जो रामबाण के समान लाभदायक हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में मुद्रण कला (छपाई) एवं कंप्यूटर की की सुविधा से सभी प्रकार की पुस्तकें सुगमता से उपलब्ध हैं। चलचित्र एवं दर्शन द्वारा शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। लिफ्ट के माध्यम से मी बटन दबाते ही ऊँची से ऊँची मंज़िल पर पहुँच जाता है। मनोरंजन क्षेत्र में भी विज्ञान ने रेडियो ट्रांजिस्टर, दूरदर्शन, वी.सी.आर. आदि साधन दिए हैं। इसके अलावा विज्ञान ने टेलीग्राम और टेलीप्रिंटर जैसे अनेक ऐसे साधन विकसित किए हैं जिनके द्वारा हम सैकंडों में विश्व भर के समाचारों से अवगत हो जाते हैं।
यातायात के साधनों में विज्ञान द्वारा बड़ी प्रगति हुई है। मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल, हवाई जहाज़, जैसे यानों से थोड़े समय में अधिक यात्रा की जा रही है। इनके अलावा सिलाई मशीन, कपड़े धोने की मशीन, रेफ्रीजरेटर, कूलर, ए.सी., हीटर, गीज़र और गैस चूल्हों आदि ने दैनिक कार्यों में बहुत सुविधा प्रदान की है।
युद्ध के क्षेत्र में भी विज्ञान के अनेकों आविष्कार हैं। अणु बम, हाइड्रोजन बम तथा प्रक्षेपणास्त्रों द्वारा पल भर में सैकड़ों मील दूर बैठे शत्रु का विनाश किया जा सकता है। इसके अलावा विषैली गैसें, तोपें, बमबारी करने वाले विमान, युद्धपोत और टैंक आदि युद्ध के क्षेत्र में प्रलय कर देने वाले साधन हैं। वस्तुत: आज हम सिर से पाँव तक विज्ञान के ऋणी हैं।
आज विज्ञान बेशक मनुष्य के लिए अलाउद्दीन का चिराग हो, परंतु अनेक प्रकार के विध्वंसक परमाणु बम, तोपें, बंदूकें और अन्य अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कार ने विज्ञान को मानव के लिए अभिशाप भी बना दिया है। विज्ञान तभी एक वरदान है, जब वह मनुष्य के लिए हितकारी है, परंतु जब वह उसका विध्वंस करेगा तो विज्ञान उसके लिए अभिशाप बन जाएगा। इसलिए विज्ञान का उपयोग सदैव इस दुनिया और मानव के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।
निबंध नंबर :- 03
विज्ञान – वरदान या अभिशाप
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मानव सतत प्रयत्नशील रहता है। इन प्रयासों में नित नये वैज्ञानिक आविष्कारों का प्रादुर्भाव होता है, जो कभी हमारे लिये वरदान बनकर खुशियों की सौगात लाते हैं, तो कभी अभिशाप बन कर हम पर कहर ढाते हैं।
जहाँ पहले मनुष्य बैलगाड़ी पर चलता था, आज मोटर-कार, रेल और वायुयान से सफर करता है। सिनेमा का स्थान दूरदर्शन ने लिया है। विद्यत शक्ति के आविष्कार से हमें ग्रीष्म ऋतु में शीत का और शीत ऋतु में ग्रीष्म का आनंद प्राप्त होता है। रेडियो और दूरदर्शन मनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान की जानकारियों के स्रोत बन गये हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में सी.टी. स्कैन द्वारा शरीर के अंदरूनी अंगों की जानकारी मिलने लगी है। आज असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त की जा रही है। विज्ञान ने पशुओं के हूबहू प्रतिरूप ‘क्लोन’ निर्मित कर अद्भुत कार्य किया है। कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले समय में विद्वान जनों के क्लोन निर्मित कर उन्हें हमेशा जीवित रखा जा सके। – कम्प्यूटर के आविष्कार ने मानव की जीवन-शैली में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया है। जीवन के हर क्षेत्र में आज कम्प्यूटर का हस्तक्षेप है। इंटरनेट के द्वारा हम घर बैठे किसी भी विषय, घटना, तकनीक आदि की जानकारी क्षण भर में प्राप्त कर सकते हैं या अन्यत्र भेज सकते हैं। कदम-कदम पर विज्ञान ने मनुष्य को सुखसुविधायें प्रदान की हैं।
प्रत्येक अच्छाई में बुराई भी समाविष्ट रहती है। वैज्ञानिक आविष्कार जहाँ मानव जाति के लिये वरदान सिद्ध हो रहे हैं, वहीं उनका दुरुपयोग अभिशाप बन कर दःख बरसा रहे हैं। अग्नि का प्रयोग भोजन पकाने में किया जा सकता है और आगजनी द्वारा गाड़ियों, भवनों एवं मूल्यवान सम्पत्तियों को व्यर्थ नष्ट करने में भी किया जा सकता है।
इसमें विज्ञान का दोष नहीं है। दोष है मानव की कलुषित विचारधाराओं का। यदि वैज्ञानिक उपलब्धियों का उपयोग रचनात्मक कार्यों में किया जाता है, तो विज्ञान वरदान है और यदि विध्वंसात्मक कार्यों में किया जाता है, तो विज्ञान अभिशाप बन सकता है।
वास्तव में विज्ञान का अभ्युदय मानव जाति के कल्याण के लिये हुआ है, किन्तु आज विज्ञान हमें विपरीत दिशा की ओर ले जा रहा है। मशीनों के आविष्कारों से उत्पादन तो बढ़ा, किन्तु हमारे कुटीर उद्योग समाप्त हो गये। फलतः बेरोजगारी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया।
चिकित्सा से रोगों पर नियंत्रण हुआ, पर जनसंख्या वृद्धि की समस्या मुँह बाये खड़ी हो गई। अणुबम और उद्जन बमों के प्रयोग का भय विश्व में तनाव पैदा कर रहा है। लोग आज भी हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए अणु बमों के हमले की विभीषिका से जूझ रहे हैं।
विज्ञान को अभिशाप बनाने का दायित्व उन राजनीतिज्ञों पर है, जो स्वार्थलिप्सा एवं कलुषित भावनाओं से प्रेरित हैं। आवश्यकता इस बात की है कि राजनीतिज्ञों में सद्वृत्तियों का आविर्भाव किया जावे, जिससे वे अपनी साम्राज्यवादी मनोवृत्ति का परित्याग करें। साथ ही सामान्य लोगों में भी भौतिक विकास के साथसाथ आध्यात्मिक विकास भी हो, जिससे समस्त मानव जाति में सद्भावना एवं भाईचारे की भावना जागृत हो सके। तभी विज्ञान मानव के लिये वरदान सिद्ध हो सकता है।