Hindi Essay on “Varsha Ritu ki Pehli Varsha”, “वर्षा ऋतु की पहली वर्षा”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

Varsha Ritu ki Pehli Varsha

जून का महीना था। गर्मी पूरे यौवन पर थी। सूर्य देवता धरती माँ को तपा रहा था। पश-पक्षी गर्मी के मारे परेशान था। तालाबों का पानी सूख चुका था। खेत में काम करने वाला किसान, कारखाने में काम करने वाला मजदूर ही गर्मी का अनुमान लगा सकता है। धनी लोग जो पंखों, कूलरों या एयरकंडीशनरों में बैठे हैं उन्हें गर्मी का अनुमान नहीं होता। जून सबसे गर्म महीना माना जाता है। जून के बाद जुलाई का महीना शुरू हुआ इस महीने में वर्षा आरम्भ हो जाती है। गर्मी से परेशान लोग आकाश की ओर झांकते हैं। किसान लोग तो वर्षा के लिए भगवान के पागे हाथ तक जोडते हैं। अचानक एक दिन आसमान में काले-काले बादल छा गए। बादलों की गरजने की ध्वनि सुनकर मोर अपनी मधुर आवाज में बोलने लगे। ठंडी-ठंडी हवा बहने लगी। धीरे-धीरे हल्की बूंदा-बांदी शुरू हो गई। मैं अपने मित्रों के साथ वर्षा में स्नान करने के लिए निकल पड़ा। हमारे दोस्तों की टोली गीत गाती हुई गलियों में से गुजर रही थी। किसान भाई भी खुश थे। वे भी खुशी के गीत गा रहे थे। स्त्रियों के लिए सावन का महीना बड़ा महत्त्व रखता है। वे गा रही थीं ‘छुट्टी लेकर आजा बालमा, मेरा लाखों का सावन जाए’। वर्षा तेज होती जा रही थी। हम वर्षा में भीगने और नहाने का मजा ले रहे थे। वर्षा के कारण गलियों में, बाजारों में पानी इकट्ठा हो गया। वर्षा भी पूरे जोर से बरसी। मैं उन क्षणों को भूल नहीं सकता। वर्षा में भीगना, नहाना, मित्रों संग खेलना, नाचना, गाना उन लोगों के भाग्य में नहीं जो बड़ी-बड़ी कोठियों में एयर कंडीशनर कमरों में रहते हैं।

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