त्योहारों का जीवन में महत्त्व
Tyoharo ka Jeevan me Mahatva
हमारे देश में हर साल जितने त्योहार मनाए जाते हैं, उतने त्योहार विश्व के भी देश में नहीं मनाये जाते ।
भारतवर्ष को ‘त्योहारों का देश’ कहा जाता है। यहाँ हर दिन एक उत्सव है, हर दिन एक त्योहार है। अंग्रेजी महीनों या भारतीय परम्परा के महीनों के हिसाब से ऐसा कोई भी मास नहीं होता, जिसमें कोई त्योहार न मनाया जाता हो।
वर्ष के प्रत्येक दिन में हमारे यहाँ कोई-न-कोई छोटा-बड़ा त्योहार या खुशी का दिन अवश्य मनाया जाता है, फिर चाहे वह होली-दीपावली जैसा बड़ा त्योहार हो या मूर्खदिवस, विश्व जनसँख्या दिवस, वन महोत्सव दिवस, मित्रता दिवस, सद्भावना दिवस, राष्ट्रीय खेल दिवस, शिक्षक दिवस, विश्व पर्यटन दिवस, क्षमा दिवस, राष्ट्रीय एकता दिवस, बाल दिवस, किसान दिवस, युवा दिवस, विज्ञान दिवस तथा विश्व पर्यावरण दिवस जैसे खुशी और उत्साह के दिन ही क्यों न हों।
भारत में मनाया जाने वाला प्रत्येक त्योहार मानव-जीवन से सम्बन्धित है। इन त्योहारों का सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक महत्त्व अपना अपना है।
विजयादशमी का दिन अपने शरीर की दस इन्द्रियों पर या काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार, ईष्र्या, द्वेष, घृणा, झूठ, छल आदि मनोविकारों या आसुरी वृत्तियों पर विजय पाने का प्रतीक है।
कहते हैं कि विजया दशमी या दशहरे के दिन दशरथ पुत्र श्री रामचन्द्रजी ने लंका के राजा रावण का वध किया था। रावण मनष्य की आसरी प्रवत्तियों का और श्रीराम मनुष्य की सद्प्रवृत्तियों अथवा अच्छाइयों के प्रतीक हैं। इस प्रकार विजया-दशमी का त्योहार अच्छाइयों की बुराइयों पर, सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक पर्व है।
विजया दशमी या दशहरा शरद ऋतु का त्योहार है। दशहरे के बाद दीपावली का त्योहार आता है। दीवाली आने की खुशी में लोग-बाग अपने घर-आँगन, साफ-सफाई करते हैं, रंग-रोगन और लिपाई-पुताई करते हैं। इस तरह स्वच्छ की दृष्टि से दीपावली त्योहार का अपना अलग महत्त्व है।
दीपावली खुशियों भरा त्योहार है। दीवाली पर लोग नए पकवान व्यंजन, खील-बतासे खाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं तथा फुलझड़ी पटाखे चलाते हैं। यह सब मानव के अन्तर्मन के उल्लास को प्रकट करता है।
भारतीय परम्परा के नए संवत्सर (संवत्) की शुरूआत चैत्र के महीने से होती है। इस दिन रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। धुलण्डी से एक दिन पूर्व होलिका दहन होता है। किसान लोग अपने खेतों से लाए गए अन्न को सर्वप्रथम होली की आग में भूनकर खाते हैं। असल में घर में नए अन्न, सुख-समृद्धि आने की खुशी में ही होली का त्योहार मनाया जाता है।
‘होली’ शब्द के भी कई अर्थ हैं। सामाजिक दृष्टि से होली का अर्थ ‘होली’ अर्थात बीत गई बात से होता है। दुःख की बाते बीत गई, दुःख के दिन बीत गए। उन बीते हुए दुर्दिनों को हम याद न करें-यही होली है।
‘होली’ का आध्यात्मिक अर्थ ‘होली’ अर्थात् मनुष्य की साधक आत्मा ईश्वर की होली, हो गई । ईश्वर के प्रेम रंग में रंग गई। ‘होली’ (Holy) के अंग्रेजी अर्थ का मतलब सब प्रकार की बुराइयों या विषय विकारों से मुक्त होकर पावन जीवन (Holylife) जीना है।
इसी तरह महावीर जयन्ती, अम्बेडकर जयन्ती, महाराणा प्रताप जयन्ती, नेहाल जयन्ती, प्रताप
जयन्ती, रविदास जयन्ती, गुरूगोविद सिंह जयन्ती, मिजगालिब जयन्ती, विश्वकर्मा जयन्ती, गुरुनानक जयन्ती, शास्त्री जयन्ती, अग्रसेन जयन्ती, तुलसी जयन्ती, जयशंकर प्रसाद एवं प्रेमचन्द जयन्तियाँ भारत में पैदा हुए विभिन्न महापुरुषों के दिव्य जन्म एवं महान कर्तव्यों की याद दिलाती है।
जब सृष्टि में बसन्त ऋतु आती है तो प्रकृति नए सिरे से अपना रूप सजाती है, लाल, नीले और पीले फूलों से अपना शृंगार करती है। वसन्त ऋतु आने की खुशी में माघ शुक्ला पंचमी के दिन ‘बसन्त पंचमी के त्यौहार के रूप में बसंत उत्सव मनाया जाता है।
भारत में मनाये जाने वाले गणतंत्र दिवस तथा पन्द्रह अग्रस्त के त्यौहार 7 महत्त्व के त्यौहार हैं। ये त्यौहार भारतवर्ष की नई आजादी तथा नये संविधान जाट दिलाते हैं। प्रतिवर्ष 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाया जाता है। भारत की थल सेना के साहस एवं शौर्य की याद दिलाता है। एक जनवरी 7 दिन ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जो युवाओं के नये उत्साह, नई लगन एवं कर्तव्यपरायणता की याद दिलाता है। गाँधी पुण्य तिथि (30 जनवरी) को हम सत्य अहिंसा के सेवक महात्मा गाँधीज़ी के बलिदान की याद करते हैं। इस दिन को कुष्ठ निवारण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो कुष्ठ रोगियों की सेवा और उपचार की याद दिलाता है।
पच्चीस जनवरी का दिन ‘अन्तर्राष्ट्रीय कस्टम्स एवं उत्पाद दिवस’ के रूप में सुरक्षित है। बारह फरवरी को ‘उत्पादकता दिवस’ पर विभिन्न प्रकार के उत्पादों की गुणवत्ता पर विचार-विमर्श किया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फरवरी) विज्ञान की सेवा और आविष्कारों की याद दिलाता है। विश्व महिला दिवस (8। मार्च) और अधिकारिता दिवस (15 मार्च) पर महिलाओं के विकास एवं उपभोक्ताओ के अधिकारों पर विचार-गोष्ठियाँ की जाती हैं।
इसी तरह ‘रंगमंच दिवस’ (27 मार्च) रंगमंच के योगदान की, विश्व वानिकी दिवस (15 मार्च) वन विभाग के दायित्वों की, राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (4 मार्च) नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था की, विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) मानव जाति के स्वास्थ्य की, मानव एकता दिवस (24 अप्रैल) सभी मनुष्यों की पारस्परिक एकता की, विश्व मजदूर दिवस (1 मई) मजदूरों के अधिकारों की रक्षा भी, विश्व दूरसंचार दिवस (17 मई) दूर संचार सेवाओं की तथा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर्यावरण सुरक्षा के प्रति हमारे दायित्वों की याद दिलाता है।
ये सभी दिवस हम आम दिनों की तरह साधारण रूप से नहीं मनाते बल्कि दिवस के महत्त्व को समझते हुए विशेष तौर से उमंग उत्साह के साथ मनाते हैं।
‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ (29 अगस्त) पर हमारे देश की केन्द्रीय एवं राज्यीय सरकार विभिन्न प्रकार के राज्यीय-राष्ट्रीय एवं अन्तरष्ट्रिीय खेलों का आयोजन कर खिलाड़ियों तथा खेल-जगत को प्रोत्साहन देती है। भारत क्रान्ति दिवस’ (9 अगस्त) हमें परस्पर मित्रभाव बरतने एवं शत्रुता के भाव को त्यागने का संकेत देता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस’ (19 अगस्त) संसार के फोटोग्राफरों के समर्पित है। ‘सदभावना दिवस’ (2) अगस्त) एक-दूसरे के प्रति अथवा । मात्र के प्रति अच्छी कामनाएँ या शुभ भावनाएँ रखने का संकेत देता है।
‘शिक्षक दिवस’ (5 सितम्बर) पर शिक्षकों के दायित्व एवं कार्य-प्रणाली समीक्षा की जाती हैं। विश्व साक्षरता दिवस’ (8 सितम्बर) जन-जन में का प्रचार-प्रसार करने के दायित्व का महत्त्व बतलाता है। इसी प्रकार ‘हिन्द दिवस’ (14 सितम्बर) हिन्दी राष्ट्रभाषा को स्वीकारने व उपयोग में लाने, सामाजिक न्याय दिवस (25 सितम्बर) निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया को, ‘विश्व पर्यटन दिवस’ (27 सितम्ल पर्यटन को बढ़ावा देने के महत्त्व को, ‘वायुसेना दिवस’ (8 अक्टूबर) भारतीय वायु के कर्तव्यों के महत्त्व को, राष्ट्रीय द्वखण्डता दिवस (31 अक्टूबर) भारत देश की एकता-अखण्डता के महत्त्व को बतलाता है।
ये सभी महत्त्वपूर्ण दिवस हमारे देश में किसी तीज-त्योहार से कम खुशी में नहीं मनाये जाते।
भारतीय त्योहारों को हम निम्न वर्गों में बाँट सकते हैं:–
- धार्मिक त्योहार–शिवरात्रि, जन्माष्टमी, रामनवमी, ईद, क्रिसमस डे. दीपावली, गोवर्धन पूजा, ताजिया (मुहर्रम) आदि।
- सांस्कृतिक त्योहार-बसन्त पंचमी, होली, वैसाखी, पोंगल, लोहिड़ी, रक्षाबंधन, भाईदूज आदि।
- राष्ट्रीय (राजनैतिक) त्योहार-गाँधी जयन्ती, क्रान्ति दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, एकता दिवस, संविधान दिवस, मानवाधिकार दिवस, थल सेना दिवस, वायुसेना दिवस आदि
(4) यादगार त्योहार–प्रताप जयन्ती, गाँधी पुष्यतिथि, नेहरू जयन्ती, वाल्मीकि जयन्ती, गुरुनानक जयन्ती, विश्वकर्मा जयन्ती, गुरुगोविन्द सिंह जयन्ती, मिर्जा गालिब जयन्ती, जयशंकर प्रसाद जयन्ती, रविदास जयन्ती, संत तुकाराम जयन्ती । बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयन्ती, गुरुअर्जुन देव जयन्ती, रामानुजाचार्य जयन्ती, । अम्बेडकर जयन्ती, विश्व मधुमेह दिवस, रथयात्रा तथा प्रेमचन्द जयन्ती आदि।
विभिन्न प्रकार के त्योहार, उत्सव, यादगार दिवस प्रतिवर्ष हमारे मन के अन्दर उमंग उत्साह जगा जाते हैं तथा हमें विभिन्न प्रकार के सामाजिक कर्तव्या की याद दिलाते हैं। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में त्योहारों का महत्त्व रहा है और आगे भी सदा रहेगा। भारत के तीज-त्योहार कभी न मिटने वाली परम्पराए हैं।