शीत ऋतु
The Winter Season
रूप–रेखा
ऋतु परिवर्तन और शीत ऋतु का काल, इस ऋतु की विशेषताएँ, गरीबों के लिए कष्टदायक ऋतु, खान–पान के सुख, धूप का आनन्द, प्रमुख फसले, शीत ऋतु के त्योहार।
ऋतुओं का परिवर्तन प्रकृति का नियम है । प्रत्येक ऋतु में प्रकृति अपने नए रंग में नजर आती है । गरमी में जहाँ भगवान भास्कर आग बरसाते हैं, वहीं बरसात में इन्द्रदेव बारिश की बूंदों से धरती को हरा-भरा रखते हैं। बरसात के बाद जब शीत ऋतु आती है तो वातावरण में ठंडी लहर दौड जाती है । अँगरेजी महीने के हिसाब से दिसंबर-जनवरी तथा हिन्दी महीने के हिसाब से पौष-माघ में सबसे अधिक ठंड पड़ती है।
शीत ऋतु मोटे तौर पर आनन्ददायक ऋतु है । पसीने की चिप-चिप और वातावरण की उमस से छुटकारा मिल जाता है । कभी अग्नि के बाण बरसाने वाले सूर्यदेव हारकर ठंडे पड़ जाते हैं । अत्यधिक सरदी की स्थिति में आग का सहारा लेना पड़ता है । चारों ओर अत्यंत ठंडी बर्फीली हवाएँ चलती हैं। घर के भीतर ही कुछ राहत मिलती है । दिन में रूई के समान सफेद बादल सूरज के प्रभाव को और भी कम कर देते हैं । कहासों के छाने से दृष्टिदोष उत्पन्न हो जाता है । महानगरों में इस काल में यातायात व्यवस्था गड़बड़ा जाती है । वायुयान और रेलगाड़ियाँ देरी से चलती हैं।
सर्दी का काल गरीबों से शत्रुता रखता है। बेचारे गरीब रजाई, कम्बल, स्वेटर, टोपी, जराब और ऊनी शाल कहाँ से खरीदें! उन्हें लकडी, सूखे पत्तों और उपलों की आग के सहारे रात काटनी पडती है । शीतलहरी में सड़कों के किनारे फुटपाथ पर सोने वाले शहरी गरीब बेमौत मारे जाते हैं । अधिक ठंड से आलस्य घेर लेता है, इसलिए काम से हुई हानि अलग है। परन्त शारीरिक श्रम करने वाले जानते हैं कि काम करने से शरीर में गर्मी आती है। वे आलस्य त्यागकर अपने काम में जुट जाते हैं । किसान और मजदूर श्रम करके अपने शरीर में गर्मी उत्पन्न करते हैं।
शीतकाल में खान-पान के अनेक सुख हैं । गरिष्ठ पदार्थ भी हजम हो जाता है । आयुर्वेद में इस काल को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है । खजर काजू, बादाम, किशमिश, मूंगफली आदि मेवों को खाकर शरीर को चुस्त बनाया जा सकता है । सेब, सन्तरा, केला, चीकू आदि इस काल के मौसमी फल हैं । चाय, कॉफी सर्दी को दूर भगाते हैं । एक उक्ति है कि जाड़े की ऋतु में तिल, रूई, उष्ण जल, पान और गरम भोजन करना चाहिए । इन पदार्थों का सेवन शरीर को रोगमुक्त रखता है । जाड़े में सूर्य की तरफ पीठकर धूप-सेवन का भी काफी महत्त्व है।
शीतकाल में हुई वर्षा ठंडी हवाओं को शान्त करती है । इस काल में वर्षा होने से रबी फसलों को लाभ होता है । किसान जाड़े के समय में गेहूँ, चना, जौ, मसूर, मूंग आदि फसलों को लगाते हैं । गन्ना भी इस काल की एक प्रमुख फसल है।
जाड़े की ऋतु का प्रमुख पर्व है मकर संक्रांति । इस पर्व में तिल के पकवान बनाए जाते हैं । पंजाब की लोहड़ी, असम का माघ बिहू, तमिलनाडु का पोंगल मकर सक्रांति के ही अलग-अलग रूप हैं । ईसाइयों का पर्व क्रिसमस और भारत का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस भी शीत ऋतु में आता है । बसंत पंचमी का आगमन शीत ऋतु की समाप्ति की घोषणा करता है।
शीत ऋतु में सर्दी से बचाव के सभी जरूरी उपाय करने चाहिए । हमें गरम ऊनी कपड़े पहनने चाहिए तथा गरमागरम भोजन करना चाहिए । ठंडे और बासी खाद्य पदार्थों को खाने से हमें सर्दी लग सकती है । इन उपायों को अपनाकर शीत ऋतु का पूरा आनन्द उठाया जा सकता है ।