ग्रीष्म ऋतु
The Summer Season
रूप–रेखा (Outlines)
इस ऋतु का सामान्य परिचय, गरमी से परेशानियाँ, गरमी के दिन, गरमी की छुट्टियां, जल–संकट और वर्षा का इंतजार ग्रीष्म ऋतु के लाभ फल–सब्जियाँ गरमी में वर्षा से राहत है।
बसंत का सुहावना समय बीता। गरमी आ गई। सूर्य भगवान अपनी तीक्ष्ण किरणें बरसाने लगे । लू की लपटें त्वचा को झुलसाने लगीं । नदियों का प्रवाह मंद होने लगा । ईंट और कंक्रीट से बने भवन आग उगलने लगे। फूलों और हरे पत्तों से युक्त पौधे मुरझाने लगे । प्यास और पसीने से लोग व्याकुल होने लगे । यह है ग्रीष्म ऋतु का सामान्य परिचय । कविश्रेष्ठ मैथिलीशरण गुप्त ग्रीष्म ऋतु का चित्रण इस प्रकार से करते हैं-
“सूखा कंठ, पसीना छूटा, मृग तृष्णा की माया।
झुलसी दृष्टि, अँधेरा दीखा, दूर गई वह छाया ।“
कंठ सूखने लगता है, पसीना फव्वारे की तरह छूटने लगता है । नदियों और सरोवरों में जल की कमी होने लगती है । पातालतोड़ कुएँ भी सूखने लगते हैं । पशु-पक्षी सूखे जलाशय को देखकर प्यास से व्याकुल हैं । प्रकृति भी प्यासी है । खेत-खलिहानों में सन्नाटा है । ग्रीष्म की दुपहरी में गाँवों के इक्का-दुक्का लोग ही बाहर दिखाई देते हैं । गौएँ छाया में विश्राम कर रही हैं । शहरों में सड़कों पर की भीड़ व्याकुल है । पानी वाला ठंडा पानी महंगे दामों में बेच रहा है । पदीना और आम का शरबत बेचने वाले जगह-जगह खड़े हैं । अमीरों के यहाँ वातानुकूलन के यंत्र लगे हैं । गरीब पंखे और कूलर से गरमी से मुकाबला कर रहे हैं । शीतल पेय और बरफ़ से बने हुए पदार्थ जनता के लिए वरदान हैं।
गरमी के दिन लम्बे होते हैं । सूरज देवता जल्दी प्रकट हो जाते हैं। उगते ही अपनी भीषणता का आभास कराने लगते हैं । दिन-भर जीव-समुदाय को झुलसाकर सायं ही कुछ शांत होते हैं । हवा साँय-साँय करके लू के थपेड़े मारती है । सड़कों का तारकोल पिघलकर चिपचिपा जाता है । सीमेंट की सड़कें अंगारे बरसाती हैं । खाली पैर दो कदम भी नहीं चला जाता । धूप से बचने के लिए लोग अपना काम सुबह और शाम के समय करना पसंद करते हैं । स्कूलों, कॉलेजों तथा न्यायालयों में अवकाश रहता है।
हमारे देश में ग्रीष्म ऋतु में सर्वत्र जल-संकट उत्पन्न हो जाता है । भूमि का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है । कई क्षेत्रों के लोग दूर-दराज से पानी लाते हैं । जल्दी वर्षा हो, इसके लिए प्रार्थनाएँ की जाती हैं । ग्रीष्म ऋतु में जब पहली वर्षा होती है तो जन-साधारण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है । झुलसे हुए पेड़-पौधों को नवजीवन प्राप्त होता है । धूलकणों के उड़ने से लाल हुआ आसमान फिर से नीला दिखाई देने लगता है । गरमी से राहत पाकर जीव-समुदाय खुश दिखाई देता है।
ग्रीष्म ऋतु के लाभों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती । धूप की तेजी आम, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा, आडू आदि फलों को पकाती है । हिमखण्डों के पिघलने से नदियाँ सदानीरा बनी रहती हैं । गरमी के प्रकोप से मच्छरों की संख्या में कमी आती है । घर के कीटाणु मरते हैं । समुद्र का जल भाप बनकर नभमण्डल में बादलों का आकार ले लेता है । ग्रीष्म ऋतु वर्षा ऋतु के सुहावने मौसम की भूमिका रचती है । ग्रीष्म काल हमें सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग के लिए प्रेरित करता है । सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली की समस्या का स्थायी हल निकाला जा सकता है। ग्रीन ऋतु का सबसे बडा सन्देश यह है कि हमें कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करना चाहिए । दुखरूपी गरमी के बाद ही सुखरूपी वर्षा के समय का आगमन होता है,