वर्षा ऋतु
The Rainy Season
रूप–रेखा (Outlines)
वर्षा आने से गरमी की समाप्ति, किसानों में उल्लास, आसमान और प्रकृति का सुहावना दृश्य, सावन मास का वर्णन, तालाबों और नदियों का दृश्य, बाढ़, इस ऋतु में होने वाली बीमारियाँ तथा इनसे बचाव के उपाय, वर्षा ऋतु से लाभ ।
वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति पर होता है । जीव-समुदाय को सूर्य देवता के कोप से राहत मिलती है । झुलसे हुए पेड़-पौधों को नवजीवन मिलता है । सरिता और सरोवर फिर से अपने पूरे यौवन में लौट आते हैं । बाग-बगीचों में हरियाली लौट आती है। आसमान में बादलों का समूह उमड़ने-घुमड़ने लगता है। किसान हल-बैल लेकर अपने खेतों की ओर जाते दिखाई देते हैं। चारों ओर का दृश्य बहुत मनमोहक दिखाई देता है।
इस ऋतु में आकाश में बादलों के झुंड नए-नए खेल करते दिखाई देते हैं। बिजली बार-बार चमक उठती है । बादलों के गर्जन से दिल दहल जाता है। सूरज के बादलों में छिपने और निकलने से धूप-छाँव का खेल आरम्भ हो जाता है । कभी आसमान में इन्द्रधनुषी छटा दिखाई देती है तो मन हर्षित हो जाता है । मयूर वन में नृत्य करने लगते हैं । मेढक टर्र-टर्र की रट ऐसे लगाते हैं जैसे वेदों का पाठ कर रहे हैं । बगुलों की पंक्ति पंख फैलाकर चाँदनी-सी तान रहे हैं । झींगुरों की आवाज से रात्रि का सन्नाटा भंग हो रहा है । जुगनू अपने क्षणिक प्रकाश से अंधकार को चुनौती दे रहे हैं । केंचुए, बिच्छू और साँप भूमि पर सैर का आनन्द ले रहे हैं।
सावन की फुहारों का तो कोई मुकाबला ही नहीं है । किसान इन फुहारों का आनन्द लेते हुए खेतों को जोत रहे हैं । रह-रहकर होने वाली बारिश से धान के बीजों को उगने और बढ़ने का पूरा मौका मिलता है। धरती अपने तल में जल के स्तर को फिर से बढ़ा लेती है । शिवभक्तों का दल इन्हीं फुहारों का मजा लेते हुए तीर्थ यात्रा पर निकलता है । सावन की पूर्णिमा के दिन देश भर में रक्षा-बंधन का त्योहार मनाया जाता है । यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम को प्रकट करने हेतु बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है।
वर्षा ऋतु में नदियों और तालाबों का दृश्य बहुत सजीव होता है। नदियाँ अपने पूरे वेग से बहती हैं । नदियों का बढ़ता जलस्तर कभी-कभी तटों को तोड़कर तबाही मचा देता है । बाढ़ का पानी खेतों, गाँवों और शहरों में प्रवेश कर जाता है । मनुष्य, पशु, पक्षी सभी बेहाल हो जाते हैं । जान-माल की भारी क्षति होती है । झोपड़ीनुमा मकान वर्षा की अधिकता से ढह जाते हैं । लोगों का उठना-बैठना, खाना-पीना सब दुश्वार हो जाता है।
वर्षा से मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है । मच्छर मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियाँ फैलाते हैं । हवा और पानी के दूषित होने से टायफॉयड, वायरल फीवर, डायरिया आदि रोगों का जन्म होता है । गली-महल्लों में पानी का जमाव और कीचड़ हो जाता है । इसलिए वर्षा ऋतु में साफ जल का ही प्रयोग करना चाहिए । इस ऋतु में खान-पान की शुद्धता पर विशेष ध्यान रखना चाहिए । अपने घर के आस-पास गंदे जल का जमाव नहीं होने देना चाहिए।
कुछ हानियों के बावजूद वर्षा ऋतु की बहुत उपयोगिता है । वर्षा होने से खेती का काम होता है । खेती से हमें खाने की वस्तुएँ मिलती हैं । अच्छी वर्षा से पूरे वर्ष अनाज की कीमतों में अधिक बढ़ोतरी नहीं होती है । बाँधों तालाबों में जल का संचय होता है । इससे मनुष्यों और पशु-पक्षियों का जीवन चलता है । वर्षा से पृथ्वी का कूड़ा-कचरा धुल जाता है । जलवायु स्वच्छ हो जाती है । हमें प्रकृति की देन वर्षा ऋतु का स्वागत करना चाहिए।