टेलीविज़न अथवा डी.टी.एच.
Television or DTH
टेलीविज़न 1926 में इंगलैंड के जॉन एल बेयर्ड की देन है। यह मनोरंजन का ऐसा साधन है जो मन, बुधि, नेत्र, कर्ण इन सभी की जिज्ञासाओं को शांत करता है। इसमें प्रसारण केंद्र से वार्ता करनेवाले का चेहरा और स्टूडियो सभी नजर आता है।
काले-सफ़ेद टेलीविज़न से आज हम डी.टी.एच. के युग में आ गए हैं। बिना किसी केबल चालक की रोकटोक के आज हम अपनी पसंद के सभी कार्यक्रम देख सकते हैं।
टेलीविजन पर कल्पनात्मक कार्यक्रम गृहिणियों के मनोरंजन के साधन हैं। कार्टून व विज्ञान संबंधी चैनल बच्चों की उत्सुकत शांत करते हैं। जानवरों, आविष्कारों, इतिहास आदि विषयों पर चौबीस घंटे नवीनतम कार्यक्रमों द्वारा हम ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। विश्वभर में चल रहे सभी खेलों का प्रसारण हम विभिन्न खेल चैनलों पर देख सकते हैं। देश-विदेश की सभी छोटी-बड़ी घटनाओं का विस्तार हम समाचारों के अनगिनत चैनलों पर हर घंटे देखते हैं।
दुनिया को रिमोट कंट्रोल के बटन तक पहुँचा टेलीविजन एक विस्तृत रोज़गार भी बन गया है। इसको कितना और इस पर क्या देखना है, यही बातें। इसका सदुपयोग व दुरुपयोग निश्चित करती हैं।