स्वास्थ्य और व्यायाम
Swasthya aur Vyayam
निबंध नंबर :- 01
अच्छा स्वास्थ्य महा वरदान है। अच्छे स्वास्थ्य से ही अनेक प्रकार की सख-सविधाएँ प्राप्त की जा सकती हैं।स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कितना पंगु है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार व्यायाम का चुनाव करना चाहिए। व्यायाम कई प्रकार के होते हैं- दंड-बैठक करना, प्रातः भ्रमण, दौड़ना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, योगासन करना, तैरनाव्यायाम का चुनाव करते समय व्यक्ति को अपनी आयु, क्षमता तथा शरीर की विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए। हमें ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिए जिन्हें हमारा शरीर स्वीकार न करता हो। बड़ी आयु के व्यक्तियों को हल्के-फुल्के व्यायाम ही करने चाहिए। व्यायाम और स्वास्थ्य का चोली-दामन का साथ है। रोगी शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव नहीं बीमार मस्तिष्क से उच्च विचारों का प्रस्फुटन असंभव है। जब विचार स्वस्थ नहीं होंगे, तो कर्म की साधना कैसे होगी, और कर्तव्यों का पालन कैसे होगा? अतः शरीर को पुष्ट, चुस्त एवं बलिष्ठ बनाने के लिए व्यायाम आवश्यक हैं।
नेम से व्यायाम को नित कीजिए।
दीर्घ जीवन का सुधा-रस पीजिए।
व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। बुढ़ापा जल्दी आक्रमण नहीं करता। शरीर हल्का-फुल्का, चुस्त तथा गतिशील बना रहता है। शरीर में काम करने की क्षमता बनी रहती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करने वाला होगा, उसका जीवन उतना ही उल्लासपूर्ण तथा सुखी होगा। व्यायाम करने वाला व्यक्ति हँसमुख, आत्मविश्वासी, उत्साही व निरोगी होता है। स्वस्थ शरीर से मन और बुधि भी स्वस्थ हो जाते हैं। व्यायाम करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। स्वस्थ-हँसमुख व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग भी प्रसन्नचित्त रहते हैं।
निबंध नंबर :- 02
व्यायाम और स्वास्थ्य
Vyayam aur Swasthya
मानव जीवन में स्वास्थ्य का अत्यधिक महत्व है। यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ है तो वह अपने जीवन में उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। एक कहावत है-“एक तंदरुस्ती हजार नियामत।” अपने स्वस्थ शरीर से ही व्यक्ति धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। अंग्रेजी में भी कहावत है-“Health is wealth” अर्थात् स्वास्थ्य ही धन है। और स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम सर्वोत्तम साधन है।
व्यायाम से मन प्रफुल्लित और शरीर स्वस्थ रहता है। जब कोई अंग-संचालन व्यायाम की भावना से किया जाता है तभी उसे व्यायाम कहते हैं। टहलना, भागना-कूदना, कबड्डी, क्रिकेट, दंड-बैठक आद सभी व्यायाम के अंतर्गत आते हैं। तैरना, मुगदर घुमाना, वजन उठाना एव। पी.टी. भी व्यायाम के ही रूप हैं। भारतीय व्यायामों में आसन १ दंड-बैठक का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
शारीरिक व्यायाम को दो वर्गों में रखा गया है-एक खेलकूद आर दूसरा नियमित व्यायाम। खेलकूद में रस्सा खींच, कूदना, दौड़ना, कब्बडी, तैरना आदि व्यायाम आते हैं और कुश्ती, मुगदर घुमाना, योगासन आदि अन्य नियमित व्यायाम हैं।
पायाम का उचित समय प्रातः काल होता है। प्रात: शौच आदि निवत्त होकर बिना कुछ खाए-पाए व्यायाम किया जाता है। व्यायाम हमेशा शुद्ध समें लाभदायक होता है। व्यायाम के बाद पौष्टिक पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
व्यायाम करते समय नाक से साँस लेनी चाहिए और व्यायाम करने के कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए।
स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए व्यायाम एक सरल साधन है। व्यायाम से शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और दिमाग तेज़ होता है। माँसपेशियाँ सुदृढ़ होती हैं और पाचन शक्ति ठीक रहती है। व्यायाम से शरीर नीरोग. प्रसन्न और जीवन सरस हो जाता है।
एक कहावत है-“स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” व्यायाम से मनुष्य की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। वह परिश्रमी और स्वावलंबी हो जाता है। व्यायाम से सारे दिन शरीर में स्फूर्ति रहती है और दीर्घायु प्राप्त होती है।
व्यायाम करने वालों को ब्रह्मचर्य से रहना अधिक लाभकारी होता है। अंतत: स्वास्थ्य और अच्छे जीवन के लिए व्यायाम अति आवश्यक है। यह कहना भी अतिश्योक्ति न होगी कि-‘व्यायाम और स्वास्थ्य’ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अत: व्यायाम ही प्रत्येक व्यक्ति के सुखी जीवन का मूलाधार है। यह बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए।
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