सुखी वैवाहिक जीवन का आधार
Sukhi Vevahik Jeevan Ka Adhar
आज की भारतीय शिक्षित नारी को अच्छी गृहिणी के रूप में न देख पाना पुरुषों की एकांगी दृष्टि का परिणाम है। विवाह के बाद बदली हुई उसकी मनःस्थिति तथा परिस्थितियों की कठिनाइयों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी रुचियों और भावनाओं की उपेक्षा की जाती है। पुरुष यदि अपने सुख के साथ पत्नी के सुख का ध्यान रखे, तो वह अच्छी गृहिणी हो सकती है। पत्नी और पति दोनों का कर्तव्य है कि वे एक-दूसरे के कार्य में हाथ बटाएँ और एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और रुचियों का ध्यान रखें। आखिर नारी भी तो मनुष्य है। उसकी अपनी जरूरतें भी हैं और वह भी परिवार में, पड़ोस तथा समाज में सम्मान पाना चाहती है। यदि नारी त्याग की मूर्ति है, तो पुरुष को बलिदानी होना चाहिए।
Can you answer my question from this paragraph of sukhi vavahik
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