श्वेत क्रांति
Shwet Kranti
श्वेत क्रांति का पशुपालन से निकट का संबंध है। श्वेत क्रांति का अर्थ है, डेयरी विकास कार्यक्रमों के द्वारा दूध के उत्पादन में वृद्धि। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में दूध का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। इसे ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से भी जाना जाता है। सरकार ने विदेशी नस्लों की गायों तथा स्थानीय गायों के संकरण से नई जातियों का विकास किया है। ये गायें अधिक दर देती हैं। मा क्षेत्रों में सहकारी समितियों का गठन इस क्रांति की सफलता की कंजी है। गाँवों में दूध उत्पादकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए समितियों का गठन किया है। ये समितियाँ दूध और उसके उत्पादों को इकट्ठा करके उसे बेचने का प्रबंध करती हैं। ये समितियाँ ऋण देती हैं तथा पशुओं को चिकित्सा भी करती हैं। यह आंदोलन गुजरात के खेड़ा जिले से प्रारंभ हुआ था, जहाँ से यह बड़ी तेजी से सारे राज्य में फैल गया। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भी इस आंदोलन से अछूते नहीं रहे। इससे दूध की वितरण- व्यवस्था भी सुधरी है। इसमें क्षेत्रीय तथा मौसमी असंतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है। अब अतिरिक्त दुध को कमी वाल अत्र में पहुंचा दिया जाता है।