सर्वशिक्षा अभियान
Sarv Shiksha Abhiyan
मनुष्य के लिए साक्षरता की सर्वाधिक आवश्यकता है। व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शिक्षा से ही संभव है। निरक्षर व्यक्ति अपना विकास नहीं कर सकता। शिक्षा ही व्यक्ति को शिष्ट एवं सभ्य बनाती है। प्रजातंत्र की सफलता के लिए उसके नागरिकों का साक्षर होना आवश्यक है। साक्षरता प्रतीक है-स्वतंत्रता एवं विकास की। हमारे देश में साक्षरता का प्रतिशत काफी कम है। इसी के लिए सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान चलाया है। इसके अंतर्गत सभी को शिक्षित बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपयाँ की धनराशि राज्यों को आबंटित की है। राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर अपने-अपने ढंग से इस अभियान को चला रही हैं। इस अभियान में स्कूल में नियमित पढ़ाई न करने वाले बालकों के साथ-साथ प्रौढ़ों को भी साक्षर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि हम इस अभियान की सफलता और विफलता का निष्पक्ष दृष्टि से विचार करें तो हमें पता चलता है कि यह अभियान जन-जागृति लाने में तो सफल रहा है, पर साक्षरों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही है। इसमें दिखावा अधिक है। सरकार की राशि को जैसे-तैसे करके खर्च किया जा रहा है। इस अभियान को गंभीरतापूर्वक चलाना चाहिए।