सर्दियों की सुबह
Sardiyo ki Subah
सर्दियों की सुबह का अपना ही मजा है। कोई भी नहीं चाहता कि वह सुबह जल्दी उठे। लेकिन जल्दी उठने में बड़ा आनन्द है। सर्दियों की सुबह में। सैर करना बहुत अच्छा है। एक सर्दियों की सुबह मैंने भी सैर करने की सोचो। उस समय बहुत ठंडी हवा चल रही थी। मैंने अपने चेहरे को ढक रखा था और अपने कानों पर मफलर पहन रखा था और अपने हाथ अपनी जेबों में डाल रखे थे। मेरी आँखों में पानी था तथा मेरे पाँव ठंडे थे। सड़क पर बहुत कम ही लोग दिखाई दे रहे थे। परन्तु जो भी दिख रहे थे उन सभी ने ऊनी कपडे पहन रखे थे और इतना ज्यादा ढके होने के कारण कोई भी आदमी पहचान में नहीं आ रहा था। कोई भी पक्षी नहीं चहचहा रहा था। न ही कुत्ते बिल्ली घूम रहे थे। हर तरफ धुंध छाई हुई थी कुछ भी नहीं दिख रहा था। और थोड़ी दूरी पर स्थित पेड़ भी ऐसे लग रहे थे मानो भूत खड़े हों। इसी प्रकार सड़क पर चलने वाले कार, साईकिल इत्यादि भी नहीं दिख रहे थे। और इस प्रकार के मौसम तथा वातावरण में चलना मुझे बहुत अच्छा लग रह था।
सर्दियों की सुबह बड़ी शांत तथा अच्छी होती है। किसी का भी शोर सुनाई नहीं देता। सभी लोग अपने घरों में घुसे होते हैं तथा पक्षी भी अपने घोंसलों में दबके रहते हैं। लेकिन गर्मियों की सुबह शोर-शराबे वाली होती है। सर्दियों की हवा नया जोश देती है और सर्दियों में सूरज का निकलना बहुत ही अच्छा लगता है। सभी पशु-पक्षी, मनुष्य सब सूरज के निकलने का इंतजार करते रहते हैं। मुझे गर्मियों की सुबह से ज्यादा अच्छी सर्दियों की सुबह लगती है।