समाचार-पत्रों की भूमिका
Samachar Patro Ki Bhumika
किसी भी समाचार-पत्र का सर्वप्रथम उद्देश्य जनता को संसार के किस कोने में, कहाँ क्या हो रहा है इसका सही ज्ञान कराना होना चाहिए। जो समाचार-पत्र अपने किसी निश्चित संकुचित उद्देश्य की पूर्ति के लिए भ्रमात्मक बातों का प्रचार करके जनता को पथप्रार करते हैं, वे विश्वासघाती हैं। क्या ऐसे समाचार-पत्र को देशद्रोही कहना अनुचित होगा ? समाचार-पत्रों को अपने बलिष्ठ व्यक्तिला का अच्छी प्रकार से ज्ञान होना चाहिए। यह तो वे जानते ही हैं आज के युग में जनता के जीवन को बनाने-बिगाड़ने, उठाने-बैठाने एवं उभारने-दबाने में वे कितना बड़ा हाथ रखते हैं। न केवल राजनीतिक, सामाजिक दृष्टि में अपितु व्यापारिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी उदेश्या में भी। स्वयं राष्ट्र के जीवन में समाचार पत्रों का विशिष्ट स्थान है क्योंकि जनता और सरकार के बीच में समाचार-पत्र ही तो दुभाषिए के रूप में हैं। वे सरकार की उचित-अनुचित कार्यवाहियों की आलोचना करके जनता वर्ग का पथ प्रशस्त करते हैं, जनता के मनोभावों का सही विश्लेषण उपस्थित कर सरकार को तद्नुसार काम करने के लिए बाध्य करते हैं। समाचार-पत्रों के द्वारा ही जनता की राजनीतिक शक्ति एवं चेतना में वृद्धि होती है। समाचार-पत्र वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी सिद्ध हो सकते हैं। समाचार-पत्र अपनी किसी निश्चित संकुचित नीति के झोंक में आकर जाति-विदोष-की साम्प्रदायिक भावनओं को उभार कर रक्त की नदियाँ बहवा सकते हैं और इस प्रकार सारे देश के भाग्य को अपनी मुट्ठी में ले सकते हैं तथा देश की सुख-शांति एवं समृद्धि को दूर कर सकते हैं। दलबंदी को बढ़ावा देकर फूट के बीज बोकर अशांति एवं अमानवीय व्यवहारों को आमन्त्रित कर सकते हैं।