सड़क दुर्घटना
Sadak Durghatna
निबंध नंबर :- 01
दिल्ली महानगर में जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ वाहनों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यहाँ चौबीस घंटे सड़कों पर वाहन चलते दिखते हैं। सुबह और शाम के समय तो यातायात अपनी चरम सीमा पर होता है। इस समय सभी को अपने काम अथवा अपने घर पहुँचने की जल्दी होती है। इसी जल्दबाजी में कई बार लोग यातायात के नियमों की अनदेखी भी कर देते हैं। 25 जनवरी को मैं करोलबाग से तिलक नगर की ओर जा रहा था। आनंद पर्वत पर मैंने एक भयंकर दुर्घटना देखी। इसमें एक स्कूटर, एक कार और एक बस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए थे। दरअसल सामान से लदा हुआ एक ट्रक तेजी से आ रहा था, उसके पीछे स्कूटर और कार भी थे। सामने से बस तेजी से आ रही थी। बस का ड्राइवर और ट्रक का ड्राइवर दोनों ही गति पर से अपना संतुलन खो बैठे और आमने-सामने टकरा गए। ट्रक के पीछे आने वाली कार तथा उसके पीछे का स्कूटर भी अधिक गति होने के कारण टकरा गए। वातावरण चीखों से गंज उठा। बस और ट्रक ड्राइवर बुरी तरह जख्मी हो गए थे। चारों ओर खून ही खून दिखाई दे रहा था। इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और कई घायल हो गए। इस प्रकार की दुर्घटनाओं को थोड़ी-सी सावधानी बरत कर टाला जा सकता है। यदि हम यातायात के नियमों का पालन करें तो बहुत-सी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
निबंध नंबर :- 02
सड़क दुर्घटना
Sadak Durghatna
समाचार पत्रों में प्रतिदिन किसी न किसी दुर्घटना का समा प्रकाशित होता ही रहता है। हम उन्हें सामान्य समाचार की भांति पटक रह जाते हैं। परंतु पिछले सप्ताह दुर्घटना की भयंकरता का अनुमान पर तब हुआ जब हमारी बस एक ट्रक से टकरा गई। उस हृदय-विदारक घटना का दृश्य आज भी मेरे सामने साक्षात् प्रकट हो जाता है।
मैं हरिद्वार जाने वाली बस में सवार हुआ था। उन दिनों मेरठ में नौचंदी का मेला चल रहा था। कुछ लोग तो बस के ऊपर चढ़कर बैठ गए और कुछ बस के गेट पर खड़े होकर यात्रा कर रहे थे। बस यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी। एक जान-पहचान के व्यक्ति ने मुझे बैठने की जगह दे दी थी। फिर हम गपशप में व्यस्त हो गए और बस चल पड़ी।
अभी हमारी बस ने गाज़ियाबाद पार किया ही था कि विपरीत दिशा से आ रहा एक ट्रक हमारी बस से टकरा गया। पता नहीं, ये लापरवाही कैसे हुई? जैसे ही हमारी बस से ट्रक टकराया, लोगों के शोर से सारा वातावरण गूंज उठा। ओह! कितना भयंकर दृश्य था वह! ट्रक, गलत दिशा में चल रहा था। वह पहले हमारी बस से टकराया, फिर रेलिंग तोड़ता हुआ खड्ड में जा गिरा।
हमारी बस भी पलटते-पलटते बची। जो सवारियाँ गेट पर खड़े होकर यात्रा कर रहे थे, उनके काफी चोटें आईं। दो-तीन लोग तो बस की छत से नीचे आकर गिर पड़े। उनमें से एक व्यक्ति तो मर भी गया था। बस के अंदर भी काफी यात्री घायल हो गए थे। ट्रक से बस टकराते ही बस के अंदर यात्री एक-दूसरे पर गिर पडे थे।
पल भर में वहाँ चीत्कार और हाहाकार मच गया। लोग ‘बचाओ। बचाओ’ चिल्ला रहे थे। बस के अंदर और बाहर लोग खून से लथपथ हो गए थे। थोड़ी ही देर में वहाँ हमारे गाँव के लोग भी आ गए। गाँव वाले तुरंत टैक्टर और ट्रॉली ले आए और घायलों को लादकर अस्पताल ले गए।
कई घायलों ने तो रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। बाद में पता चला कि इस भयंकर दुर्घटना में आठ लोगों की जानें गईं। सरकार ने घायलों को 20-20 हज़ार और मृतकों के परिवारजनों को एक-एक लाख रुपए देने की घोषणा कर दी।
ट्रक और बस, दोनों के ड्राईवरों को पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने लोगों को हिदायत दी कि वे आइंदा बस की छत पर बैठकर और गेट पर खड़े होकर यात्रा कभी न करें।
उस सड़क दुर्घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता। उस सड़क दुर्घटना को याद करके मैं आज भी सिहर उठता हूँ।