सदाचार
Sadachar
अच्छा आचरण या सदाचार मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। अपने अच्छे आचरण । से मानव न केवल समाज में ऊँचा स्थान पाता है, बल्कि अपने सभी कार्यों में सफलता भी पाता है। सदाचारी व्यक्ति का हृदय सरल और शांत होता है। जिससे वह अपने कार्य सकुशल कर सकता है।
सत्य, अहिंसा, ईश्वर पर विश्वास, दूसरों के प्रति सम्मान व प्रेम यह सब सदाचार के गुण हैं। श्री राम एक सदाचारी व्यक्ति थे। वे सभी से प्रेम और आदर से मिलते थे। परंतु सीता का हरण करके रावण एक दुराचारी के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
सदाचारी व्यक्ति कभी कोई गलत कार्य नहीं करता इसलिए उसे किसी बात का भय नहीं होता। वह स्वयं को अच्छी संगति और अच्छे वातावरण में रखता है। वह अपने कार्यों से अपने वचन सिद्ध करता है।
विद्यार्थी जीवन में मैत्री-भाव, मीठे बोल, आदर व स्नेह, कार्य के प्रति लगन सदाचारी गुण हैं। ऐसे गुणों को धारण कर हम अपने आसपास सभी के हृदय में स्थान पाते हैं। हमारा मन प्रसन्न रहता है और हमारी कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है।