Hindi Essay on “Rangbhed Neeti”, “रंगभेद नीति” Complete Paragraph, Speech for Students.

रंगभेद नीति

Rangbhed Neeti

 

गाँधी जी जय दक्षिण अफ्रीका पहुँचे तो उन्होंने देखा कि वहाँ भारतीयों की स्थिति लगभग ऐसी थी जैसी हमारे देश में अछूतों की थी। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में जो समय बिताया उस दौरान उन्हें लगा कि ये गोरे लोग काले लोगों के साथ जो भेदभाव कर रहे हैं वह उचित नहीं है। क्योंकि प्रभु ने हम सबको एक जैसा इंसान बनाया है। केवल रंग भेद से हमारे बीच इतना भेद कैसे हो गया है कि हम इंसान होते हुए भी दूसरे इंसान का तिरस्कार करने लगे ? मुझे लगता है कि भेदभाव की जिस पीड़ा को गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में भोग चुके। थे, उसी पीड़ा को उन्होंने हिन्दुस्तान आने पर अछूत भाइयों के भीतर महसूस किया। उन्हें लगा कि अछूत भाइयों को बेवजह समाज में तिरस्कृत किया जाता है और इसलिए उन्होंने हरिजन उद्धार का कार्यक्रम चलाया। आजादी के 60 वर्ष बाद बेशक शहरों में चमक-दमक बढ़ गई है, अधिक आर्थिक संसाधन हमने जुटा लिए हैं, लेकिन अपराधों में होने वाली बढ़ोत्तरी, समाज में पनपने वाला असंतोष, लगातार घटित होने वाली आंतकवाद की घटनाएँ, गिरते हुए सामाजिक मूल्य और निरंतर पतन की इस प्रक्रिया में हमें गाँधी जी की तरफ देखना ही होगा। इन सारी स्थितियों में गाँधी जी वे प्रकाश स्तंभ हैं जिनकी रोशनी व्यक्ति के मन में कहीं भीतर फैले हुए अंधेरे का हरण करके उसे एक नया रास्ता दिखाती है।

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