रामनवमी
Ram Navami
त्रेतायुग में अवतरित भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम का जन्मोत्सव चैत्र मास की नवमी को पावन ‘रामनवमी’ के रूप में मनाया जाता है। त्रेतायुग में पृथ्वी पाप- भार से आक्रांत हो विह्वल हो उठी थी। अनीति और अत्याचार का बोलबाला था।निशाचरों और राक्षसों का प्राबल्य साधु-सन्यासियों को तंग कर रहा था।ऐसे समय में भगवान श्री राम का अवतार हुआ। श्री राम शील, सत्य, सौंदर्य आदि से मर्यादा पुरुषोत्तम थे, उनका जीवन धर्ममय था।, मर्यादानिष्ठ था।, धर्म का वास्तविक आदर्श था।
पृथ्वी पर भगवान श्री राम के अवतार का मुख्य उद्देश्य केवल रावणादि राक्षसों का संहार नहीं, अपितु मानव समाज में धर्म-संस्थापन एवं मानवधर्म की शिक्षा देना है। मातृभक्ति, पितृभक्ति, विप्रभक्ति, भ्रातृस्नेहादि सामान्य लोकधर्मों का जैसा पालन श्री राम ने किया।वह मानवमात्र के लिए अनुकरणीय है। श्रीराम ने सभी प्रकार की मर्यादाओं का निर्वाह करके हमारे सामने महान आदर्श प्रस्तुत किया है।
रामचंद्र जी धर्म की प्रतिमूर्ति कहलाते हैं और इसी रूप में इनकी अर्चना की जाती है। इसीलिए रामायण में कहा गया है। “रामोविग्रहवान् धर्म”रामायण मनुष्य को बाधाओं तथा दुखों का विश्वास व साहसपूर्वक सामना करना सिखाती है।
लोगों की भक्त-प्रकृति तथा रामायण की लोकप्रियता के कारण भगवान श्री राम का जन्मदिवस प्रत्येक हिंदू के लिए एक महत्त्वपूर्ण पर्व है। ‘रामनवमी’ का उत्सव उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है।
रामनवमी के पहले आठ दिनों में रामायण के पाठ तथा श्रवण को अत्यंत पुण्य फल प्रदान करने वाला माना जाता है। इस अवसर पर ‘रामचरितमानस’ का अखंड पाठ किया जाता है तथा भजन-कीर्तन आदि का आयोजन भी किया जाता है। इस पवित्र दिन भगवान राम से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि उनके द्वारा प्रस्तुत आदर्शों का हम अनुकरण कर इस मानवजन्म का सदुपयोग करें।