रक्षाबंधन
Rakshabandhan
निबंध नंबर :- 01
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। यह भारत का बहुत लोकप्रिय त्योहार है और बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
श्रावण मास की पूर्णिमा को आनेवाले इस त्योहार में बहन भाई की कलाई पर राखी का धागा बाँधती है। भाई बहन को सदा उसकी रक्षा करने का वचन देता है। बहन भाई की लंबी आयु की कामना करती है।
रक्षाबंधन से पूर्व पूरा बाज़ार रंग-बिरंगी राखियों से सजा रहता है। भाइयों और बहनों के लिए उपहारों की भी भरमार लगी रहती है। रक्षाबंधन के दिन स्नान आदि कर बहनें भाई के माथे पर टीका लगा राखी बाँधती हैं। उनका मुँह मीठा करवाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
कुछ लोग इस दिन देवी-देवताओं को भी राखी बाँधते हैं और उनसे सुख-समृधि की कामना करते हैं।
निबंध नंबर :- 02
रक्षाबंधन
Raksha Bandhan
रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। यह त्योहार भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है।
यह राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। हम यह पर्व सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आजकल इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बाँधने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं। इस प्रकार आदान-प्रदान से भाई-बहन के मध्य प्यार और प्रगाढ़ होता है।
सन् 1535 में जब मेवाड़ की रानी कर्णावती पर बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया, तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर मदद की गुहार की थी। क्योंकि रानी कर्णावती स्वयं एक वीर योद्धा थीं इसलिए बहादुर शाह का सामना करने के लिए वह स्वयं युद्ध के मैदान में कूद पड़ी थीं, परंतु हुमायूँ का साथ भी उन्हें सफलता नहीं दिला सका।
इस दिन सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं। सभी का मन हर्ष और उल्लास से भरा होता है। बहनें अपने भाइयों के लिए खरीदारी करती हैं, तो भाई अपनी बहनों के लिए साड़ी आदि खरीदते हैं और उन्हें देते हैं। यह खुशियों का त्योहार है।
हमारे हिन्दू समाज में वो लोग इस त्योहार को नहीं मनाते, जिनके परिवार में से रक्षाबंधन वाले दिन कोई पुरुष-भाई, पिता, बेटा, चाचा. ताऊ, भतीजा-मर जाता है। इस पुण्य पर्व पर किसी पुरुष के निधन से यह त्योहार खोटा हो जाता है। फिर यह त्योहार पुनः तब मनाया जाता है जब रक्षाबंधन के ही दिन कुटुंब या परिवार में किसी को पुत्र की प्राप्ति हो।
हमारे हिन्दू समाज में ऐसी कई परंपराएँ हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं। उन्हें समाज आज भी मानता है। यही परंपराएँ हमारी संस्कृति भी कहलाती हैं। परंतु कई परंपराएँ, जैसे-बाल विवाह, नर-बलि, सती | प्रथा-आदि को कुरीति मानकर हमने अपने जीवन से निकाल दिया है। परंतु जो परंपराएँ हितकारी हैं, उन्हें हम आज भी मान रहे हैं।
अतः रक्षाबंधन का त्योहार एक ऐसी परंपरा है, जो हमें आपस में | जोड़ती है इसलिए इसे आज भी सब धूमधाम और पूरे उल्लास के साथ। मनाते हैं।
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