रेलवे स्टेशन का दृश्य
Railway Station Ka Drishya
4 Hindi Essay on ” Railway Station Ka Drishya”
निबंध नंबर :- 01
रेलवे स्टेशन वह जगह है जहाँ से आदमी और सामन रेल द्वारा आतेजाते हैं। प्रवेश द्वार से ही मेले का सा दृश्य नजर आने लगता है।
बड़े या छोटे शहर के अनुसार स्टेशन में प्लेटफार्म होते हैं। पटरियों के बीच बने प्लेटफार्मों पर यात्री सामान सहित अपनी रेल की प्रतीक्षा करते हैं। यहीं यात्रियों की सुविधा के लिए जल-पान के कई स्टाल होते हैं। यात्रियों का रात को ठहरने के लिए आरामगृह बनाए जाते हैं। चाय, पूरी, मिठाई आदि व खेल-खिलौने और पत्रिकाएँ भी यहाँ मिलती हैं।
बोझा ढोते कुली धक्का-मुक्की में अपना पूरा योगदान देते हैं। ठेले वाले निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं। उनसे बच पाना एक कला है। यहाँ जेबकतरे भी बेफ़िक्र यात्रियों की ताक में रहते हैं। जिसकी नजर हटी, उसका सामान गुल।
रेलवे स्टेशन की इस भीड़ में हमें अपनी और अपने सामान की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
निबंध नंबर :- 02
रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य
Railway Platform ka Drishya
भूमिका- विज्ञान ने हमें अनेक प्रकार के उपहार दिए है। यातायात के साधनों के आविष्कार से आज समय तथा दूरी की सीमा समाप्त हो गई है और सारी दुनिया सिमट गईहै। आज एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए अत्यन्त तीव्रगामी साधन उपल्बध है, परन्तु रेलगाड़ी का अपना ही महत्त्व है। यह एक ऐसासाधन है जो यात्रियों को रुक-रुक कर उनके भिन्न-भिन्न स्थानों पर पहुंचाता है। यह यातायात का एक ऐसा साधन है जिसकी अन्य साधनों से तुलना नहीं की जा सकती। रेल यात्रा करना है तो रेलवे स्टेशन पर जाकर ही यात्रा प्रारम्भ की जाती है। यात्रा की शुरूआत तथा समाप्ति रेलवे स्टेशन पर ही होती है।
अन्दर रेलवे स्टेशन का दृश्य- रेलवे स्टेशन का दृश्य अपने आप में अनूठा होता है। बड़े-बड़े स्टेशनों पर तो हर समय गाड़ियों का आवागमन होता रहता है। कुछ के स्टेशनों को, जहाँ दो रेल मार्ग मिलते हैं, जक्शन कहा जाता है। भारत में दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास, मुम्बई, इलाहाबाद, बनारस आदि अनेक जक्शन हैं।
रेलवे प्लेटफार्म बाहर का दृश्य- रेलवे प्लेटफार्म के बाहर तो बसों, कारों, स्कूटरों आदि का मेला सा जुड़ा दिखाई देता है। अनेक यात्री अपने सामान के साथ या तो गाड़ी पकड़ने आ रहे हैं या फिर कहीं से आ रहे हैं। कुछ अपना सामान स्वयं ला रहे हैं, कुछ कुलियों की मदद ले रहे हैं। स्टेशन के अन्दर जाते ही प्लेटफार्म का दृश्य बड़ा अद्भुत दिखाई देता है। वहाँ तो यात्रियों का तांता लगा रहता है। कुछ तो बैचों पर बैठे हैं। कुछ प्लेटफार्म पर ही कपड़ा बिछा कर विश्राम कर रहे हैं और अपनी-अपनी गाड़ी आने की इन्तजार कर रहे हैं।
प्लेटफार्म का दृश्य- प्लेट फार्म पर तो भीड़ लगी ही रहती है। यात्री आते ही जाते हैं। प्लेटफार्म पर हाकरों का शोर सुनाई दे रहा है। कोई पूरी-सब्जी की आवाज लगा रहा है। फल बेचने वाले भी शोर मचा रहे हैं। कोई पान बेच रहा है तो कोई शीतल पेय पिला रहा है। कोई कुली को पुकार रहा होता है। सम्पूर्ण प्लेटफार्म एक छोटे से शहर के समान प्रतीत होता है कुछ लोग किसी को गाड़ी तक छोड़ने आए हैं, तो कुछ अपने सगे-सम्बन्धियों को लेने। किसी की गाड़ी आ चुकी है तो वह भागा-भागा गाड़ी को पकड़ता है। किसी गाड़ी देरी से चल रही है तो वह पत्रिका पढ़ कर समय बिता रहा है। प्लेटफार्म पर पुलिस वालों की गश्त है। वह चोरों पर निगाह रखते हैं। रेलवे अधिकारी और कर्मचारी आते-जाते रहते हैं। कुलियों की दौड़ लगी रहती है। इंजनों की सीटियों तथा गाड़ियों के चलने और आने की आवाजें सुनाई देती हैं।
प्लेटफार्म की विशेषता- रेलवे प्लेटफार्म पर भारतीय संस्कृति का साक्षात रूप दृष्टिगोचर होता है क्योंकि प्लेटफार्म पर आने-जाने वाले विभिन्न प्रान्तों से, विभिन्न भाषाएं बोलने वाले तथा विभिन्न धर्मों को मानने वाले होते हैं। उनकी वेशभूषा भी अलग प्रकार की होती है।
उपसंहार- रेलवे प्लेटफार्म भारतीय परम्परा तथा संस्कृति की नुमाइश की भान्ति है जिसमें ऊँच-नीच जाति-| पाति, भाषावाद या साम्प्रदायिकता को कोई स्थान नहीं। रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य देखकर बच्चे अति प्रसन्न होते हैं। बच्चों को रेल की यात्रा करना अच्छा लगता है।
निबंध नंबर :- 03
रेलवे स्टेशन का दृश्य
Railway Station ka Drishya
कुछ दिन पहले मुझे रेलवे स्टेशन जाने का अवसर मिला। हैदराबाद से दिल्ली आने वाले एक मित्र को लेने में दिल्ली स्टेशन गया। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। हर व्यक्ति तेजी से इधर-उधर आ-जा रहा था। बहुत-सी कारें, स्कूटर, टैक्सियाँ एवं ऑटो-रिक्शा वगैरह पंक्तियों में पार्किंग में खड़े थे। लोग अपने-अपने मित्रों या सम्बन्धियों का स्वागत करने या विदा करने आये हुये थे।
टिकट खिड़की पर बहुत लोग जमा थे। बहुत-से लोगों को अन्तित समय पर ही यात्रा के लिये आरक्षण कराना था। पूछताछ की खिडकीपा भीड़ लगी थी। हर कोई जल्दी में दिखाई पड़ रहा था। चारों ओर बहुत शोर था।
प्लेटफॉर्म टिकट खरीदने के बाद मैंने अन्दर प्रवेश किया। विभिन्न गाड़ियों के आने एवं जाने के समय की घोषणा की जा रही थी। फेरी वाले आवाज़ लगा-लगा कर लोगों को आकर्षित कर रहे थे। यात्री एक से दूसरे प्लेटफॉर्म पर तेजी से आ-जा रहे थे। कुछ ने अपना सामान स्वयं उठा रखा था। कुछ कुलियों के पीछे दौड़ रहे थे।
जैसे ही एक रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म पर रुकी तो प्लेटफॉर्म पर खड़े लोगों में हलचल मच गयी। यात्री गाड़ी के रुकने से पूर्व ही उसमें चढ़ने का प्रयास करने लगे। इससे उतरने वाले यात्रियों को परेशानी हुयी। हर तरफ अफरातफरी का माहौल था।
टिकट निरीक्षक बाहरी गेट पर खड़े होकर टिकट की जाँच कर रहे थे। कुछ रेलवे कर्मचारी अपना कर्त्तव्य निभाते हुये गाड़ी की जाँच-पड़ताल एवं सफ़ाई का निरीक्षण कर रहे थे। कुछ अन्य लोग उतरकर कुली से या सामान लादने वाली गाड़ी वाले से मोल-भाव करते दिखाई दे रहे थे।
मेरे मित्र की गाड़ी के 40 मिनट देर से आने की घोषणा हो चुकी थी। मैं बेंच पर जगह देख वहाँ बैठ गया। एक शीतल पेय के साथ मैंने रेलव स्टेशन के दृश्य का आनन्द उठाया। मेरे विचार से रेलवे स्टेशन पर उस दिन मेरा समय अच्छा बीता। हैदराबाद से आये अपने दोस्त से मिलने पर वातावरण और भी रोमांचक हो गया।
निबंध नंबर :- 04
रेलवे स्टेशन का दृश्य
A Scene at a Railway Station
लव स्टेशन पर गाड़ी के आने से पूर्व का दृश्य बहुत आकर्षक होता है । सुधर आर चित्ताकर्षक वस्त्र पहने या तो टिकट लाइनों में खड़े होते हैं या प्लटफार्म पर । हर कोई जल्दी में होता है । यात्री जल्दी से जल्दी टिकट प्राप्त कर लेना चाहते हैं। स्कूटर, रिक्शा टैक्सी और कार स्टेशन से बाहर स्टैंड पर खड़े होते हैं। पूछताछ काउटर पर भीड़ लगी होती है । कली यात्रियों का भारी सामान उठाकर प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ते दिखाई देते हैं। प्लेटफॉर्म पर कुछ लोग समह बनाकर बैठते हैं। कई ताश खेलते हैं तो कई अखबार पढ़ते हैं । फेरीवाले खाने-पीने का सामान बेचने में व्यस्त दिखाई देते हैं । बच्चों की नजर खिलौनों पर होती है। ट्रेन आती देख लोग अपना सामान उठा लेते हैं । ट्रेन के रुकते ही पहले चढ़ने की होड़ लग जाती है । उतरने वाले यात्री भीड़ को चीरते हुए स्टेशन से बाहर निकलने लगते हैं । कली और किराए पर वाहन उपलब्ध कराने वाले सक्रिय हो जाते हैं । यह सिलसिला थोडे अंतराल के बाद फिर शुरू हो जाता है।
शब्द–भंडार
चित्ताकर्षक – चित्त या मन को आकर्षित करने वाला । सक्रिय – काम में लगा हुआ । वाहन = गाड़ी, सवारी । अंतराल- बीच का समय । व्यस्त – काम में मग्न ।