Hindi Essay on “Priyadarshini Indira Gandhi”, “प्रिय दर्शिनी इन्दिरा गांधी”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

प्रिय दर्शिनी इन्दिरा गांधी

Priyadarshini Indira Gandhi

भूमिका- इतिहास अनेक पुरुषों की जानकारी देता है। इतिहास पढ़ने से हमें नेक महापुरुषों, राजनीतिज्ञों वैज्ञानिकों की जीवनी का पता चलता है। ये चरित्र ही इतिहासको नया मोढ़ देते हैं जिनसे उनका व्यक्तित्व भी प्रकाशमान हो जाता है। भारत के महान राजनीतिज्ञों में स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। विश्व-राजनीति के इतिहास में भी उन्हें सदैव यदि किया जाए।

जीवन परिचय- आपका जन्म 19 नवम्बर सन् 1917 में इलाहाबाद के एक धनाढ्य परिवार में हुआ। आपक माता का नाम कमला नेहरु और पिता का नाम श्री जवाहर लाल नेहरु था। आपका लालन-पालन बहुत ही लाड-प्यार से हआ। आपके दादा का नाम मोती लाल था जो एक प्रसिद्ध वकील थे। आपकी बुआ का नाम श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित था। आपकी आरम्भिक शिक्षा शान्ति निकेतन में हुई। इसके पश्चात् स्विटरजरलैण्ड तथा ऑक्सफोर्ड में इन्होंने शिक्षा ग्रहण की। सन् 1942 में फिरोज गांधी जी के साथ प्रणय सूत्र में बंधी। अपने पति के साथ आप लगभग तेरह महीनों तक कारावास में रही। संजय गांधी और राजीव गांधी इनके दो पुत्र हुए। इन्दिरा जी को राजनीति का पाठ घर से ही मिला। सन् 1938 में कांग्रेस की सदस्य बनी और सन् 1950 में कांग्रेस महा समिति की सदस्य बनी। सन् 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी।

प्रधामन्त्री के रूप में- लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के पश्चात् 24 जनवरी, 1966 को प्रधान मन्त्री का पद सम्भाला। आप 11 वर्ष इस दिन तक भारत वर्ष की प्रधान मन्त्री रही। 1967, 1971 के चुनावों में आपको बहुमत मिला। 1971 में आपने ‘गरीबी हटाओ समाजवाद लाओ’ का नारा लगाया। दिसम्बर 1971 में भारत-पाक युद्ध हुआ और इस युद्ध में पाक को करारी हार खानी पड़ी। पाक के दो टुकड़े हो गए। जून 1975 को इलाहाबाद के उच्च न्यायालय ने श्रीमती गांधी के चुनाव के सम्बन्ध में दोषी ठहराया और त्यागपत्र की मांग की 26 जून, 1975 को अपातकाल की घोषणा की गई। बड़े-बड़े नेताओं को पकड़ा गया।

1977 में लोकसभाका छटा चुनाव आ गया। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई। केन्द्र में जनता पार्टी ने बागडोर सम्भाली और मोरार जी देसाई प्रधान मन्त्री बने। जुलाई 1979 को मोरार जी देसाई की सरकार का पतन हो गया। नए प्रधान मन्त्री चौधरी चरण सिंह बनाए गए लेकिन वे भी बहुमत सिद्ध न कर पाए। लोकसभा भंगकर दी गई और मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी गई। जनवरी 1980 से श्रीमती गांधी ने पुनः प्रधानमन्त्री के पद को संभाला। 23 जून, 1980 को उनके पुत्र संजय गांधी का दु:खद निधन हुआ। इस सदमे को बड़ी कठिनाई से सहन किया। सन् 1982 में दिल्ली में ‘नवम एशियाड’ का सफल आयोजन करवाया। आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए ही उन्हें दुःखी मन से पंजाब में अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में 3 जून, 1984 को सैनिक कार्यवाही करवानी पड़ी। 31 अक्तूबर को 9.30 पर उन्हीं के अंगरक्षकों में से दो आतंकवादियों ने उनके ही निवास स्थान पर गोली मार कर उनकी नृशंस हत्या कर दी। उनकी हत्या से सारा विश्व स्तब्ध रह गया। वे प्रकृति की पुत्री थी, प्रकृति से, पहाड़ों से उन्हें प्यार था। उनके पुत्र राजीव गांधी ने अस्थियों को आँसू भरी आँखों से इन खामोश चोटियों पर सम्मानपूर्वक बिखेरा।

व्यक्तित्व- श्री गांधी में नेता होने की पूरी शक्ति थी। अपने विरोधियों से निपटना और अपनी बात मनवाना खूब जानते थे। उनके गुणों के कारण भारतीय ही नहीं विश्व के सभी नागरिक सिर झुकाते रहे हैं। अमेरिका और रूस दोनों से सहायता लेने पर कोई प्रतिज्ञा नहीं करती थी। श्रीमती गांधी नीति निपुण थी। इनके प्रधानमन्त्री काल में कांग्रेस दो बार दो भागों में बंटी पर फिर भी पार्टी ने और जनता ने इसी का साथ दिया। पाकिस्तान के दो भाग करना, स्वतन्त्र बंगला देश बनाना इनकी नीति निपुणता के परिणाम हैं। श्रीमती गांधी एक अच्छी वक्ता, अच्छी लेखिका तथा देशभक्त थी। इस प्रकार इनके चरित्र में अनेक गुण थे।

उपसंहार- श्रीमती इन्दिरा गांधी केवलभारत की ही नहीं अपितु विश्व स्तर की महान् नेता थी। अनेक बार उन्हें संकटों का सामना करना पड़ा पर धैर्यपूर्वक सब कुछ सहती तथा संकटों से छुटकारा भी पाती। विश्व में शान्ति स्थापित करने के लिए तथा गट निरपेक्ष आन्दोलन को सफल बनाने के लिए उन्होंने अनथक प्रयास किया। इन्दिरा गांधी इतिहास का अमर अध्याय बन चुकी है।

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