Hindi Essay on “Pradarshni ka Drishya ”, “प्रदर्शनी का दृश्य”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

प्रदर्शनी का दृश्य

Pradarshni ka Drishya 

 

प्रदर्शनी अर्थात् चीजों का प्रदर्शन करना। वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करने के लिए व उन्हें बेचने के लिए वस्तुओं को नुमाईश लगाई जाती है जिसे प्रदर्शनी कहते हैं। दिल्ली में भी व्यापार मेला’ लगता है जिसमें व्यापारी अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं तथा उनके लाभ बताते हैं ताकि लोग उन्हें खरीदें। इस प्रकार की प्रदर्शनी दर्शकों के लिए भी फायदेमंद रहती है। क्योंकि इससे उन्हें भी विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी मिलती है।

लोग प्रदर्शनी में अक्सर जाते हैं। क्योंकि उन्हें वहाँ उत्पादों से संबंधित जानकारी मिलती है। उसके लाभ-हानि का ज्ञान मिलता है। प्रदर्शनियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं। एक प्रकार की प्रदर्शनी वह होती है जिसमें एक जैसे उत्पादों अर्थात् आपस में संबंधित उत्पादों की नुमाईश लगती है तथा दूसरी प्रदर्शनी वह होती है जिसमें अनेक प्रकार की वस्तुओं की प्रदर्शनी लगती है तथा कला की नुमाइश होती है। इसमें विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनी, फूलों की प्रदर्शनी और सरकारी प्रदर्शनी हाथ की दस्तकारी की प्रदर्शनी विभिन्न कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी इत्यादि शामिल होती है।

लोग प्रदर्शनी में अक्सर जाते हैं तथा प्रदर्शित वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। तथा वस्तुओं के पसन्द आ जाने पर उन्हें खरीद भी लेते हैं। बच्चों के लिए भी प्रदर्शनी लगाई जाती है। जिसमें अनेक प्रकार के झूले व खिलौने होते हैं। बच्चे ऐसी प्रदर्शनियों में जाकर बहुत खुश होते हैं। इस तरह से बच्चे उन्हें खरीद भी लेते हैं तथा उनका मनोरंजन भी हो जाता है।

प्रदर्शनी का बहुत अधिक महत्त्व है। यह हमारे जीवन में ज्ञान का स्रोत है। विभिन्न राज्यों तथा प्रांतों से व्यापारी वस्तुएँ बेचने आते हैं तथा लोग भी अपने-अपने शहरों से प्रदर्शनी देखने जाते हैं। इस तरह से हमारा ज्ञान बढ़ता

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