Hindi Essay on “Pongal”, “पोंगल”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

पोंगल

Pongal 

पोंगल तीन दिन तक मनाया जाने वाला हिंदुओं का त्योहार है। यह त्योहार भारत, विशेषकर तमिलनाडु में मनाया जाता है। पोंगल प्रायः 13 या 15 जनवरी को प्रतिवर्ष की पूजा की जाती है। मनाया जाता है। यह त्योहार खेतों में हुई उपज से संबंधित है। इस दिन भगवान सूर्य पर्व के पहले दिन ‘भोगी पोंगल’ होता है। इस दिन पारिवारिक उत्सव मनाये जाते हैं। दूसरे दिन भगवान सूर्य की उपासना में सूर्य पोंगल मनाया जाता है। दूध में घी तथा गुड़ के साथ चावल पकाकर पोंगल तैयार किया जाता है। वह पोंगल सूर्य भगवान को अर्पित किया जाता है। तीसरे दिन माठ-पोंगल मनाया जाता है। इस दिन पशुओं को सजाया जाता है तथा उनकी पूजा की जाती है।

फसल तैयार हो जाने पर तथा दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्व मानसून की समाप्ति पर ही पोंगल का त्योहार आता है। नयी फसल से आये चावलों को पकाकर खाना पोंगल के त्योहार का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। पोंगल का अर्थ है-उपड़ना या ऊपर आनायह नाम संभवतः चावलों को दूध में उबलकर ऊपर आने के कारण रखा गया है।

पोंगल के उत्सव पर सारा घर अच्छी तरह साफ किया जाता है। घर की स्त्रियां सुंदर रंग-रंगोली बनाती हैं। उसके ऊपर एक पीले रंग के बड़े पुष्प के साथ गोबर का दीया बनाकर रखती हैं।

गोबर से की गयी सजावट उस गाय का प्रतीक है। जिसका पोषण श्री कृष्ण करते थे। यह प्रत्येक जीवात्मा या व्यक्ति की ओर भी संकेत करते हैं। अतः यह स्पष्ट है कि ईश्वर सब जीवों का पोषण करते हैं।

पोंगल, अर्थात् मीठा चावल सात्त्विक भोजन है। जो उच्च-विचार एवं व्यवहार में विनम्रता, मृदुता आदि गुणों को बढ़ाता है।

सूर्य इस दिन उत्तरायण की ओर प्रस्थान करता है। जिसे उच्च मार्ग माना जाता है। जिस प्रकार सूर्य उच्च मार्ग की ओर बढ़ता है। उसी तरह हमें भी अपने आपको सांसारिकता से ऊपर उठाकर देवत्व की ओर बढ़ना है।

प्रत्येक मनुष्य द्वारा किये जाने वाले पांच महायज्ञों में भूतयज्ञ, अर्थात् पशुओं की जा करना एक है। इससे पशु-पक्षियों के प्रति हमारा प्रेम बढ़ता है।

भगवान सूर्य की पूजा अच्छी फसल प्राप्त होने पर उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए की जाती हैं।

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