पिकनिक का एक दिन
Picnic ka Ek Din
निबंध नंबर:- 01
हर रोज की एक जैसी दिनचर्या से ऊबकर हमारे परिवार ने शहर से दूर किसी सुंदर प्राकृतिक स्थलपर पिकनिक मनाने का निश्चय किया।
इसी प्राकृतिक सुंदरता की खोज में पिछले रविवार हम पिकनिक मनाने शहर से दूर चल दिए। मम्मी ने खाने-पीने का सामान टोकरी में भर लिया। दीदी के साथ मैं खेल का सामान और चटाई इकट्ठा करने लगा। पापा ने गाड़ी में सामान रखकर हमारे लिए जगह बनाई और हम निकल पड़े।
दूर नदी तट पर हमने डेरा डाला। हरी-हरी घास पर नंगे पैर खेलतेफुदकते हमने जी भरकर तितलियों का पीछा किया। नदी का शीतल जल और उस पर से आती ठंडी, ताजा हवा, शरीर को चुस्ती से भर रही थी। पक्षियों की ऐसी प्रजातियाँ देखने को मिलीं जो बहुत दुर्लभ थीं।
भोजन कर हम नाव में बैठे और नदी के प्रवाह के साथ बहने लगे। आँखें बंद कर पानी में चप्पू के चलने की ध्वनि अति सुखदायी थी। फिर हमने पास ही पार्क में लगे झूलों का, खुले आकाश के नीचे आनंद उठाया।
ढलती शाम और अगले दिन की दिनचर्या ने हमें लौटने पर विवश कर दिया। प्रकृति के इस सौंदर्य का पान करने हम अवश्य फिर से वहाँ जाएँगे।
निबंध नंबर:- 02
पिकनिक
Picnic
पिछले रविवार हम सब पिकनिक के लिये बाहर गये। उस दिन मौसम साफ़ था और हमने समुद्र के किनारे जाने का निश्चय किया। मेरी माँ ने नाश्ता बनाया और हम अपने साथ सेब, संतरे एवं केले आदि फल भी लेकर गये।
बहुत-सी सड़कों एवं रास्तों से निकलने के पश्चात् हमारी बस समुद्र के किनारे पहुँची। बस खचाखच भरी हुयी थी, ऐसा लग रहा था मानो हर व्यक्ति समुद्र के किनारे जाना चाहता हो। हम जब बस से उतरे तो शीतल हवा के झोंके हमें छूने लगे। समुद्र बहुत शान्त दिख रहा था और लग रहा था जैसे वह अपने पास बुला रहा हो।
हम बहुत देर तक ठण्डी रेत पर टहलते रहे और फिर घुड़सवारी के लिये चले गये। मैं पानी में आगे जाना चाहता था मगर मेरे पिता ने मुझे अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत जोखिम है। मेरा भाई अपने साथ कैमरा लाया था। उसने हमारी बहुत-सी तस्वीरें खींची।
कुछ देर बाद हम थक गये। भूख भी लग रही थी। मेरे पिता और मैं पास की दुकान से चाय ले आये। माँ ने हमें सैंडविच खाने को दिये। दोपहर को कुछ देर आराम करने के पश्चात् मेरी बहन ने हमें कुछ गीत गा कर सुनाये। उसकी आवाज़ बहुत मधुर है। तभी अचानक आकाश में बादल घिर आये। बरसात होने की सम्भावना देखकर हमने अपना सामान समेटा और टैक्सी पकड़ने चल पड़े।
बरसात से पहले हम घर पहुँच गये। हम थक गये थे मगर प्रसन्न थे। यह एक बढ़िया बिताया गया दिन था।