पं० जवाहर लाल नेहरु
Pandit Jawahar Lal Nehru
निबंध नंबर :- 01
भूमिका- भारत भूमि पर समय-समय पर अनेक संत, महात्मा, लेखक-दार्शनिक,ऋषि-मनि तथा राजनीतिज्ञ एवं समाज सुधारक पैदा हुए हैं। जिनमें से कुछ ने अपनी ओजस्वी वाणी से जन-जागरण का बीज उठाया, तो कुछ ने भारती जनता में भक्ति और ज्ञान की धारा प्रवाहित की। कुछ ने कर्म और राजनीति का पाठ पढ़ाया। कुछ ने हमारी संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास किया। पंडित जवाहर लाल नेहरु ऐसे ही युग पुरुष थे जिन्होंने भारत की स्वतन्त्रता के लिए अपना जीवन लगा दिया।
जन्म, बाल्यकाल और शिक्षा- जवाहर लाल नेहरु का जन्म 14 नवम्बर 1869 को इलाहावाद के आनन्द भवन के एक धनाड्य परिवार में हुआ। इनके पिता श्री मोती लाल इलाहावाद के उच्च कोटि के वकीलों में गिने जाते थे। इनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूपरानी था जो साधु स्वभाव की थी। इनकी आरम्भिक शिक्षाघर पर ही हुई। इनका बाल्यकाल राजकुमारों की भाँति बीता। बाद में उच्च शिक्षा के लिए इन्हें इग्लैंड भेज दिया गया। सन् 1912 में नेहरु जी ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से वैरिस्टरी पास की तथा इलाहाबाद में आकर वकालत करने लगे। 1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से इनका पाणि ग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की पैदा हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रिय दर्शिनी रखा गया। कुछ देर बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रहा।
राजनीति में प्रवेश- उन दिनों भारत में स्वन्त्रता सग्राम जोरों पर था। इन्होंने स्वतन्त्रता सग्राम में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। 1919 में जलियांवाला बाग के गोली कांड को देख कर नेहरु की आत्मा कांप उठी। नेहरु जी गांधी जी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े। असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण इन्हें अनेक बार जेल यात्राकरनी पड़ीतथा अंग्रेजों के अत्याचारों को सहन करना पड़ा। इधर कमला का स्वास्थय बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरु स्विट्ज़रलैंड गए। वहाँ उनकी कई नेताओं से भेंट हुई। अब तो नेहरु का ध्येय ही बदल गया।
26 जनवरी 1930 को रावी के किनारे तिरंगा फहराते हुए पंडित जवाहर लाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे”। 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। परन्तु अंग्रेजों को यह बात भली-भान्ति समझ में आ गई थी कि अब भारत को ज्यादा दिनों तक गुलाम बना कर नहीं रखा जा सकता। अन्तत: 15 अगस्त 1947 को भारत स्वाधीन हो गया।
प्रधानमन्त्री के रूप में- नेहरु स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने और मृत्युपर्यन्त इसी पद पर रहे। भारत के सामने अनेक समस्याएं थीं। नेहरु ने कशल वीर पुरुष की तरह डट कर उनका मुकाबला किया। उनके जीवन काल में तीन बार आम चुनाव हुए- 1952, 1957 और 1962 में तीनों ही बार नेहरु भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पंच वर्षीय योजनाएं प्रारम्भ की तथा कृषि एवं उद्योगों को क्षेत्र में क्रान्तिकारी कदम उठाए।
कुशल राजनीतिज्ञ- नेहरु जी भारत के ही नहीं, समूचे विश्व के महापुरुष थे। इनकी विदेशनीति के कारण विश्व की राजनीति को नई दिशा मिली। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस, अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बनाए। सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरु को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने लगाए गए।
उपसंहार- बच्चों को प्यारा चाचा नेहरु 27 मई 1964 को हम से विदा हो गया। नेहरु का जीवन भारत के लिए ही नहीं, समूची मानवता को अर्पित था। वह एशिया की एक महान् विभूति थे। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर तक जियो मुस्कराते हुए जियो। नेहरु जी के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते थे। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में उनका नाम इतिहास के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। यद्यपि नेहरु जी का भौतिक शरीर हमारे बीच नहीं है तथापि उनके आदर्श तथा उनके सिद्धान्त युगों-युगों तक हमारा मार्ग-दर्शन करते रहेंगे।
निबंध नंबर :- 02
जवाहरलाल नेहरू
Jawahar Lal Nehru
जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राहमण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा। उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल, मोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे। इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू न ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे।
पं. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने काग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हई। पं. नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।
पं. जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 म उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था।
इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए ज़िम्मेदार पाया गया, किन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष-मुक्त कर दिया।
सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया, तो वे देश आजाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया। जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा-“डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुई। जेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की।
सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश किया। फिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ शुरू किया, तो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा। इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी, 1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया।
फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोडो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई, 1064 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
निबंध नंबर :- 03
जवाहरलाल नेहरू
Jawahar Lal Nehru
जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राहमण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा। उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल, मोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे। इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू न ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे।
पं. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने काग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हई। पं. नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।
पं. जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 म उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था।
इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए ज़िम्मेदार पाया गया, किन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष-मुक्त कर दिया।
सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया, तो वे देश आजाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया। जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा-“डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुई। जेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की।
सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश किया। फिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ शुरू किया, तो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा। इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी, 1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया।
फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोडो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई, 1064 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
निबंध नंबर :- 04
जवाहरलाल नेहरू
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय मोती लाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माँ स्वरूप रानी एक बहुत उदार महिला थीं।
15 वर्ष की उम्र में जवाहर हैरो स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैंड गये। इसके बाद उन्होंने केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और एक वकील बने। भारत आकर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी वकालत प्रारम्भ की। महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा हे स्वतन्त्रता संग्राम से प्रभावित होकर उन्होंने वकालत करनी छोड़ दी।
इस तरह वह धीरे-धीरे काँग्रेस के एक महान् एवं लोकप्रिय नेता बन गये। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो वह स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
जवाहरलाल नेहरू एक कुशल प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व में भारत ने बहुत प्रगति की। संसार में हमारे देश की प्रतिष्ठा बढ़ी। नेहरू निर्गुट आन्दोलन के प्रवर्तक थे। भारतीय तकनीकी संस्थान की स्थापना उनके समय ही हुयी। पब्लिक सेक्टर यूनिट के संस्थापक भी नेहरू ही थे।
नेहरू एक महान् नेता, विचारक एवं स्वप्नद्रष्टा थे। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। वह ‘चाचा नेहरू’ के नाम से बच्चों में लोकप्रिय थे। आज भी उनका जन्मदिन 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह अपने कोट पर सदैव एक लाल गुलाब लगाते थे।
पंडित नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे। देश उनको सदैव सम्मान से याद करता है। 27 मई 1964 को उनका देहान्त हो गया।