निर्धनता एक अभिशाप है!
Nirdhanta Ek Abhishap Hai
धन का अभाव निर्धनता कहलाता है। निर्धनता मानव जीवन के लिए अभिशाप है। कहने को तो लोग कहते हैं कि अमीर लोग चिन्ता मुक्त होते हैं। उन्हें धन, मकान, रोटी, कपड़े की चिन्ता नहीं होती। पर ऐसा नहीं वे रात को भी चिन्ता में डूबे रहते हैं जबकि निर्धन बेखोफ सड़क पर सोया होता है। सत्य यह है कि निर्धनता भरा जीवन नरक के समान दुःखदायी होता है। निर्धन व्यक्ति का सारा जीवन रोटी, कपड़ा और मकान की दौड़-धूप में ही व्यतीत हो जाता है। सारा दिन कारखाने में काम करने के बाद भी भर पेट रोटी नसीब नहीं होती। शरीर ढकने के लिए पूरे वस्त्र नहीं हैं। सिर ढकने के लिए अपना मकान नहीं है। निर्धन व्यक्ति तो आज के युग में बिमारी की दशा में पूरी तरह इलाज भी नहीं करा पाता। अपने बच्चों का पालन-पोषण भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते। अच्छे स्कूलों में या कॉलेजों में शिक्षा नहीं दिला सकते। निर्धतना ही बच्चों को चोर बनाती है। निर्धनता में सगे-सम्बन्धी भी साथ नहीं देते। निर्धन व्यक्ति अपनी इच्छाओं को सदा दबाए रखता है। निर्धनता के कारण ही लोग आत्महत्या करते हैं। कई बार समाचार पत्रों में ऐसा भी पढ़ने को मिलता है कि उसमें अपनी पत्नी और बच्चों समेत नहर में कूद कर जान गवां ली। निर्धन व्यक्ति ही विवश होकर रेल के आगे छलांग लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं। जो जीवन की सारी इच्छाओं का गला घोंट दे वह निर्धनता अभिशाप नहीं तो ओर क्या है।