Hindi Essay on “Meri Ruchiya”, “मेरी रुचियां”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

मेरी रुचियां

Meri Ruchiya

निबंध नंबर :- 01

भूमिका- मानव जीवन में अनेक प्रकार की भावनाओं और कल्पनाओं के झूले में झूलता रहता है। मनुष्य को जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है जैसे- कभी सफलता और कभी असफलता। कभी लाभ और हानि, कभी सुख और कभी दु:ख। इस विशाल विश्व में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अलग-अलग रुचि होती है, कोई मीठा पसन्द करता है तो किसी को खट्टा पसन्द है। प्रकृति, आयु तथा वातावरण का भी रुचियों से विशेष महत्त्व रहता है। वास्तव में प्रत्येक मनुष्य की रुचि अपनी-अपनी होती है।

मेरी रुचि- संगीत तथा अध्ययन- मेरी रुचियों में संगीत तथा अध्ययन का विशेष महत्त्व है। अध्ययन के प्रति मेरा बड़ा लगाव है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि घर में पारिवारिक वातावरण अध्ययन का ही है। घर में बच्चों के लिए छोटी-छोटी शिक्षाप्रद कहानियां, ऐतिहासिक महापुरुषों की जीवनियों से सम्बन्धित पुस्तकें उपलब्ध होने के कारण मेरा भी इनके प्रति आकर्षण रहा है। घर में धार्मिक पुस्तकें जैसे गीता, रामायण और महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती हैं। धार्मिक पुस्तकों के प्रति मेरा इतना लगाव था कि मैं कोई न कोई धार्मिक पस्तक अवश्य अपने स्कूल के थैले में रखता। स्कूल में खाली वकत में उसे निकालकर पढ़ता। धीरे-धीरे स्कूल के पस्तकालय में जाने की आदत पड़ गई। शुरू-शुरू में केवल मनोरंजक कहानियाँ ही पढ़ा करता था लेकिन धीरे-धीरे मन्शी प्रेम चन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर के कुछ निबन्ध पढ़े जिनका मेरे मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गीतांजली तो मुझे बड़ी अच्छी लगी। रामचरित मानस का मैंने पूरा अध्ययन किया। इसकी कुछ चोपाइयों की मुझे समझ नहीं आई। बाद में जब हारमोनियम बजाना सीखा तो उन चोपाईयों की भी समझ आ गई। गोदान उपन्यास को भी मैंने एक-दो बार पढ़ा।

धीरे-धीरे अध्ययन का स्तर बढ़ता गया और मैंने सूर, तुलसी, कबीर, रहीम आदि सन्तों की कविताओं को बड़ी गम्भीरता से पढ़ा। ज्यों-ज्यों मेरी आयु बढ़ती रही अध्ययन की तरफ भी मेरी रुचि बढ़ती चली गई। आज मैं प्रत्येक प्रकार की पत्रिकाओं को आसानी से पढ़ लेता हूँ। अध्ययन से मेरी भाषा में सुधार हुआ है। ज्ञान में वृद्धि हुई है। इसी कारण मैं वाद-विवाद में भाग लेता रहता हूँ। घर में मैं कभी खाली नहीं बैठता। कुछ न कुछ अध्ययन करता रहता हूँ। खाली समय मिलने पर संगीत, गजलें सुन लेता हूँ। भक्ति के पद तो मैं सुन्दर रूप से गा भी लेता हूँ। धार्मिक भजन व गीता तो मुझे सुनने का शौक है। पुस्तकों को पढ़ कर तो मैंने बहुत कुछ सीखा है। संगीत से मैं कभी-कभी अपना मन बहला लेता हूँ।

खेल में भी मेरी रुचि है। खेल के बिना मानव जीवन अधूरा है। मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है। मैं सुबह और शाम नियममित रूप से क्रिकेट खेलता हूँ। खेलने से शरीर में चुस्ती रहती है। पसीना निकल जाता है। इससे स्वास्थय बना रहता है। मेरी ज्यादा रुचि किताबें पढ़ने की थी। मेरा खेल तरफ कभी ध्यान भी नहीं गया था। मैं अनपे मित्र सुधीर का धन्यवादी हूँ जिसने मेरा ध्यान खेलों में लगाया। वह स्वयं भी क्रिकेट का एक अच्छा खिलाड़ी है। खेल से शरीर चुस्त, लचकीला, फुर्तीला बना रहता है। “यह सत्य है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” खेलने के बाद तरोताजा होकर पढ़ाई में रुचि बढ़ती है। मैंने धीरे-धीरे अन्य खेलों में भागलेना आरम्भ कर दिया है। मैं टी० वी० पर मैचों को देखता हूँ।

देश भ्रमण- मेरा सौभाग्य है कि मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ है जो अध्ययन के साथ-साथ भ्रमण करने का भी शौक रखता है। मैं विशेष कर ऐतिहासिक, धार्मिक स्थानों को पसन्द करता हूँ। पहाड़ों की सैर तो वैसे ही स्वास्थ्यवर्धक होती है। मैंने नैनीताल, मसूरी, शिमला. कश्मीर जैसे अनेकों स्थानों का भ्रमण किया है। मैंने कुरुक्षेत्र, फतेहपुर सीकरी, आगरा आदि वाला बाग मैंने अनेकों बार देखा है। यहाँ अंग्रेज सरकार ने निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाई थी। मैंने अमृतसर में श्री दरबार साहिब, दाना मन्दिर का भी भ्रमण किया है। गुरुद्वारा में माथा टेक कर मन को बड़ी शान्ति मिलती है। भ्रमण करने से मुझे विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता

उपसंहार- मुझे ज्ञात है कि सभी छात्रों की रुचि अलग-अलग है, लेकिन मुझे अपनी रुचियों से बड़ा लाभ हुआ है। मुझे रुचिया अपने परिवार से प्राप्त हुई हैं। प्रत्येक छात्र का फर्ज बनता है कि खाली अवसर पर अपनी रुचि के अनुसार काम करे और अपना मन बहलाए। काम करने से उसे लाभ ही लाभ होगा।

 

निबंध नंबर :- 02

 

मेरी रूचि

Meri Ruchi

पढ़ने-लिखने या काम करके थक जाने के बाद हम अपनी रुचि का काम करना चाहते हैं। खाली समय में हमें हमारे शौक परे करने का अवसर मिलता है। ऐसा करके हमें खुशी मिलती है।

मेरे दो शौक हैं – पतंग उड़ाना और बागवानी करना। मुझे पतंगों से प्यार है। मैंने बहुत-सी पतंगें एकत्र की हैं। वे भिन्न-भिन्न आकार, आकृतियों एवं रंगों की हैं। मेरे पास कुछ ऐसी पतंगें भी हैं जो विदेशों से आयी हैं। पतंगें पतले कागज़ और बांस की महीन तीलियों से बनती हैं। पतंगों को उड़ाने के लिये एक अलग तरह के धागे की जरूरत पड़ती है। भारत में लोग बहुत शौक से पतंगें उड़ाते हैं। अधिकतर शहरों में पतंगबाज़ी की प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं।

मैं अपने घर की छत से रविवार को पतंग उड़ाता हूँ। साफ़ नीले आकाश में पतंगों को उड़ता देखने में बहुत आनन्द आता है। अपने मुहल्ले के बड़े खेल के मैदान से पतंग उड़ाना भी मुझे बहुत अच्छा लगता है। बड़ी उम्र के बहुत-से लोग भी वहाँ पतंग उड़ाने आते हैं। वे पतंग उड़ाने में माहिर होते हैं और उन्हें देख कर प्रसन्नता होती है।

मेरा दूसरा शौक बागवानी है। मुझे बागवानी में बहुत आनन्द आता है। मेरे घर में लगभग 50 गमले हैं। जिनमें तरह-तरह के पौधे लगे हुये हैं। गर्मी के मौसम में मैं प्रतिदिन पौधों को पानी देता हूँ। मगर सर्दी में सप्ताह में एक बार पानी देना ही पर्याप्त है। सुबह सबसे पहले मुझे पौधों को देखना बहुत सुखद लगता है। उस समय वह बहुत ताज़े और हरे दिखाई पड़ते हैं। रंगबिरंगे सुन्दर फूल मुझे बहुत खुशी प्रदान करते हैं।

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