Hindi Essay on “Meri Bus Yatra ”, “मेरी बस यात्रा”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरी बस यात्रा

Meri Bus Yatra 

एक दिन मैं जब अपनी दादी जी के घर जोधपुर में था तो वहाँ मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि वह मुझे जोधपुर के ऐतिहासिक स्थानों पर घूमाने ले जाएंगे। अगले दिन मैं जल्दी से तैयार हो गया और मैं और मेरे पिताजी दोनों चल दिए। वह रविवार का दिन था। रविवार के दिन सड़कों पर चलने वाली बसों की संख्या कम थी। हमें जिस बस में जाना था वह अभी आई नहीं थी। मैं और पिताजी कम से कम दस मिनट बस स्टैंड पर खड़े रहे। उसके बाद हमारी बस आ गई। मैं और मेरे पिताजी बस में चढ़ गए क्योंकि मुझे टिकट लेने की कोई चिंता नहीं थी। अतः मैं बस के अन्दर एक खाली सीट पर बैठ गया तथा खिड़की के पास ही बैठा रहा। मेरे पिताजी ने हम दोनों की टिकटें ली जो कि दस रुपए की थी।

बस में काफी भीड़ थी परन्तु मुझे एक व्यक्ति ने बच्चा समझकर सीट दे दी थी। मेरे पिताजी वहीं मेरी सीट के पास खड़े हो गए। बस पूरी तरह से यात्रियों से भरी हुई थी। काफी सारे लोग बसों में खड़े थे। यात्रियों को चढ़ाकर बस चल पड़ी। तभी एक बूढा व्यक्ति चिल्लाने लगा कि पर्स चोरी हो गया। वह अभी चिल्ला ही रहा था कि इतने में ही पर्स चोरी करने वाला भागकर बस से कूद गया और तेजी से भागने लगा। बस में इतनी अधिक भीड़ थी कि छोटे बच्चे भीड़ की वजह से रो रहे थे। कुछ देर बाद बस के पहिए में कुछ खराबी आ गई जिसके कारण ड्राइवर को बस रोकनी पड़ी और सब यात्री परेशान होकर बस से नीचे उतरने लगे। ड्राइवर ने साफ मना कर दिया कि आगे बस नहीं चलेगी और सभी यात्री किसी दूसरी बस में चले जाएं। मैं और मेरे पिताजी भी बस से नीचे उतर गए। मेरे लिए बहुत बुरा अनुभव था। इसके बाद मैं और मेरे पिताजी हम दोनों अगली बस का इंतजार करने लगे।

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