मेरे विद्यालय का चपरासी
Mere Vidyalaya ka Chaprasi
हमारे विद्यालय का एक चपरासी है वह प्रधानाचार्य के कमरे के बाहर बैठता है। वह बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। जो विद्यालय के कई छोटे छोटे कामों को निपटाता है।
राम नरेश हमारे स्कूल का चपरासी है। उसकी आयु पचास वर्ष है। वह काफी लम्बा है। वह काफी तगड़ा भी है। उसका रंग सांवला है। वह विद्यालय के समीप एक गाँव से आता है। वह नीले रंग की वर्दी पहनता है तथा सिर पर सफेद टोपी पहनता है। उसे यह वर्दी हर साल विद्यालय से ही मिलती है। वह विद्यालय परिसर के एक कमरे में ही रहता है। वह शादीशुदा व्यक्ति है। तथा उसकी पत्नी तथा बच्चे गाँव में ही रहते हैं।
वह काफी काम करता है वह विद्यालय खुलने से एक घंटे पहले ही आ जाता है। तथा सबसे पहले प्रधानाचार्य जी के कमरे को साफ करता है। वह कक्षाओं की कुर्सियों मेजों को भी ठीक ढंग से लगाता है। इसके बाद वह घंटी बजाता है।
जब तक विद्यालय का समय चलता है वह प्रधानाचार्य के कमरे के बाहर बैठा रहता है। वह उनके आदेश के अनुसार काम करता रहता है। कभी-कभी वह पत्रों को डाकखाने में भी डाल कर आता है। वह विद्यालय के पैसे को निकालने तथा जमा करवाने के लिए बैंक भी जाता है। वह स्कूल की छुट्टी की घंटी भी बजाता है। कभी अगर वह अपनी ड्यूटी सही तरह से नहीं करता तो सब उसके खिलाफ शिकायत कर देते हैं। छुट्टी होने के बाद वह सभी दरवाजों पर ताला लगाता है तथा सारे विद्यालय का निरीक्षण करके घर चला जाता है। उस का काम वास्तव में भी बड़ी मेहनत का है।