Hindi Essay on “Mere Sapno ka Bharat”, “मेरे सपनों का भारत”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

मेरे सपनों का भारत

Mere Sapno ka Bharat

 

मेरा एक सुखद स्वप्न है कि मेरे देश, भारतवर्ष के लिए आने वाला कल मंगलमय होगा। सभी जन आपस में प्रेम-प्यार से मिलकर रहेंगे तथा घृणा, ईष्र्या, द्वेष का कहीं नामोनिशान नहीं होगा।

आने वाले समय में भारतवर्ष का सम्पूर्ण पृथ्वी पर साम्राज्य होगा। भारत के अलावा और कोई देश पृथ्वी पर नहीं होगा। उस समय भारत सच्चा स्वर्ग होगा तथा यह ‘सोने की चिड़िया’ कहलाया करेगा। यहाँ घी, दूध तथा अन्न धन की कहीं कमी न होगी। भारत का हर नर श्री नारायण अथवा श्री रामचन्द्रजी के तुल्य पावन तथा हर नारी लक्ष्मीस्वरूपा सीताजी की तरह गुणवान होगी।

भारत में फिर से घी दुध की नदियाँ बहेंगी। धरती उपजाऊ होगी तथा यह अपनी कोख से सोने जैसी फसलें उगाया करेगी।

आज हमारे देश का वातावरण कितना प्रदूषित हो चुका है लेकिन आने वाले समय में प्रकृति के पाँचों ही तत्त्व पावन-स्वच्छ अर्थात् सतोप्रधान होंगे तथा सारा देश प्रदूषण से रहित होगा।

मेरा सपना है कि भारत में फिर से रामराज्य हो। भारत में सुख, समृद्धि और ज्ञान की त्रिवेणी बहे, भारत फिर से अपने प्राचीन जगद्-गुरु पद को प्राप्त करे।

भारत (भा+रत अर्थात् शोभा या प्रतिभा से रत या पूर्ण) अपने नाम को फिर से चरितार्थ करे-यह मेरा सुन्दर सपना है।

भारत की नारियों का सौन्दर्य उनके सतीत्व और मातृत्व के रूप में प्रकट हो-ऐसी मेरी इच्छा है। भारत की नारी सद्गुण, सदुचरित्र, सौम्यता और पवित्रता की देवमूर्ति बने-ऐसी मेरी इच्छा है।

मेरे सपनों के भारत में शोषण, अन्याय, बेरोजगारी, भुखमरी, महँगाई, अराजकता, आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार आदि का कहीं नाम-निशान नहीं होगा। वहाँ व्यक्ति के स्वार्थों के बजाय परोपकार, मानव सेवा और राष्ट्रहित को ही प्रमुख महत्त्व दिया जाएगा। मेरे सपनों के भारत में राजनीति अपनी दोमुहिं चाल नहीं चलेगी। धर्म एवं राजनीति की सत्ता एक ही योग्य शासक के हाथ में होगी। भारत राजा कभी अपनी मनमानी नहीं करेंगे तथा वे अपनी प्रजा का पत्र करेंगे और प्रजा को सुख से रखेंगे। आज की तरह राजसत्ता के अनेक विपक्षी दल वहाँ नहीं होंगे। सत्ता को पाने के लिए किसी तरह का कवक वहाँ नहीं होगा। राज्याधिकारी वहाँ योगशक्ति से सम्पन्न तथा प्रतिभाशाली होगा।

मेरे सपनों के भारत में धर्म एवं जाति के नाम पर कभी किसी प्रकार छ दंगा या लड़ाई-झगड़े नहीं होंगे क्योंकि वहाँ सबका एक ही मानवधर्म होगा। उम्। धर्म का व्यक्ति न तो हिन्दू होगा और न मुसलमान या सिक्ख, ईसाई आदि ही। मानवमात्र का एक ही सत्यधर्म होगा और वह धर्म होगा प्रेम का, अहिंसा का, शान्ति का और भाईचारे का।

मेरा स्वप्न है कि भारत के वन उपवन हरे-भरे होकर सदैव लहराते रहें। उनमें सौन्दर्य की आपार सुषमा बनी रहे। भारत के लता-पादप रसपूर्ण, स्वाद और मधुर फल देने वाले हों। भारत की नदियाँ अपने जलदान से भारतीयों के जन-जीवन को तृप्त करती रहें। भारत की ऊँची-नीची पर्वत श्रृंखलाएँ तपोभूमि बनकर मनुष्यों को मंगल का शुभ आशीर्वाद प्रदान करती रहें। वे अपनी अतुल सम्पदा से भारतवर्ष के घर-आँगन को भर दें।

भारत भूमि को देवधरा कहा जाता है। मेरा सपना है कि इस पुण्यभूमि पर फिर से देवी-देवताओं का साम्राज्य हो। भारत में रहने वाला आम नागरिक चरित्र की उज्ज्वलता और आचरण की श्रेष्ठता को धारण करके धरती का पूज्य देवता और देवी बन जाए।

मेरा स्वप्न है कि भारत के सभी प्रदेशों में मानव-मानव के बीच प्रेम की। निर्मल गंगा बहे, भारत से पाखण्ड, अन्धविश्वास एवं बाह्याडम्बरों का नाश हो। तथा सबके बीच आत्मीयता की भावना हो। क्रोध और अहंकार का इस देश से हमेशा के लिए नाश हो जाए। किसी में अतिशय मोह न हो, किसी में ज्य लोभ न हो तथा एक दूसरे का लोग सम्मान करना सीखें।

मेरे सपनों का भारत सच्चे अर्थों में एक गौरवशाली राष्ट्र होगा। वह कोई भूखा नंगा होगा और न ही कोई पापी, दुःखी रोगी प्रापित, कोढी, निधन या पीड़ित ही होगा। सबमें समता और न्याय की भावना होगी।

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  1. vanshita September 13, 2019

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