मेरा प्रिय शहर – अमृतसर
Mera Priya Shahar – Amritsar
निबंध नंबर :- 01
भूमिका- भारत एक विशाल देश है। इससे अनेक प्रदेश हैं। प्रदेशों में अनेक नगर हैं। उन नगरों की अपनीअपनी विशेषताएं हैं जिनके कारण वे प्रसिद्ध हैं। कुछ नगर धार्मिक दृष्टि से, कुछ नगर औद्योगिक दृष्टि से, कुछ व्यापारिक दृष्टि से प्रसिद्ध हैं। मैं पंजाब का रहने वाला हूं। यह प्रान्त (पंजाब) भारत का प्रमुख अंग है। इससे अनेकों नगर प्रसिद्ध हैं। पटियाला, लुधियाना, अमृतसर, जालन्धर इसके प्रसिद्ध नगर हैं। चारों बड़े नगर अपनी-अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध हैं। इन चारों नगरों में से अमृतसर अधिक प्रसिद्ध है। यह नगर धार्मिक दृष्टि के साथसाथ औद्योगिक दृष्टि से भी प्रसिद्ध है। यहाँ का ‘हरि मन्दिर’ दर्शनीय है। भारत के अनेक कोनों से लोग इसके दर्शनों के लिए आते हैं। यहाँ प्रतिदिन देखने वालों का जमघट रहता है।
अमृतसर का इतिहास- इस नगर की स्थापना सिक्खों के चौथे गुरू राम दास जी ने की थी। अमृतसर का अर्थ है अमृतसर अर्थात् इसे अमृत का तालाब भी कहा जाता है। सिक्खों के चौथे गुरू रामदास जी का गुरूकाल 1574 से 1581 तक रहा। चाहे उनका गरूकाल थोड़े समय के लिए था फिर भी उन्होंने सिक्ख पंथ के विकास और संगठन के लिए कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए। अमृतसर नगर की स्थापना उनके गुरूकाल में हुई जो सिक्ख मत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इस शहर को बसाने के लिए गुरू साहिब ने यहाँ भिन्न-भिन्न व्यवसायों से संबंधित 52 अन्य व्यापारियों को बसाया ।इन व्यापारियों ने जो बाजार बसाया वह गुरू का बाजार नाम से प्रसिद्ध हुआ। शीघ्र ही यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र बन गया। गुरू साहिब ने रामदासपुरा में दो सरोवरों अमृतसर एवं संतोखसर की खुदवाई का विचार बनाया। पहले अमृतसर सरोवर की खुदाई का कार्य आरम्भ किया गया। बाद में अमृत सरोवर के नाम पर राम दासपुरा का नाम अमृतसर पड़ गया। अमृतसर की स्थापना सिक्ख पंथ के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। अमृतसर नगर के निर्माण कार्य को गुरू अर्जुन देव जी ने पूरा किया। उन्होंने अमृतसर सरोवर के बीच एक मन्दिर का निर्माण किया। इस मन्दिर का नाम हरि मन्दिर अर्थात् ईश्वर का मन्दिर रखा गया। इस पवित्र मन्दिर की नीव का पत्थर प्रसिद्ध सूफी फकीर मियाँ मीर ने 1588-89 ई० में रखा। इस मन्दिर के चारों ओर द्वार रखे गए। इन चार द्वारों का अभिप्राय यह था कि चारों दिशाओं से चारों जातियों के लोगों के लिए यह मन्दिर खुला है। इस मन्दिर का निर्माणकार्य 1601 में पूरा हुआ था। इस अवसर पर गुरू जी ने कहा था कि इसके सरोवर में अगर कोई यात्री सच्ची श्रद्धा से स्नान करेगा तो उसे भवसागर से मुक्ति प्राप्त होगी। प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह के अनुसार, “जो स्थान बनारस का हिन्दुओं के लिए है और मक्का मुसलमानों के लिए, ठीक वहीं स्थान अमृतसर सिक्खों के लिए है।”
हरि मन्दिर की शोभा बड़ी अद्वितीय है। मन्दिर के बाहर का दृश्य बड़ा सुन्दर है। अनेक प्रकार की दुकानें हैं। मन्दिर के अन्दर-बाहर संगमरमर पत्थर लगा हुआ है। मन्दिर के अन्दर एक नगाड़ा है जो सुबह और शाम को बजाया जाता है तथा प्राथनाओं की घोषणा की जाती है। सारा दिन भजन कीर्तन की गूंज कानों में पड़ती है। मन्दिर तीन मंजिला है। नीचे की मंजिल में एक स्वर्ण जड़ित सिहासन पर श्री गुरू ग्रन्थ साहिब सुशोभित होता है। मन्दिर की भीतरी भाग देखने योग्य है, विशेष अवसरों पर मन्दिर को खूब सजाया जाता है, दीवाली वाले दिन तो हरि मन्दिर साहब की शोभा देखने योग्य होती है।
महत्त्व- अमृतसर का हरि मन्दिर भारतीय संस्कृति कला तथा धर्म का प्रत्यक्ष रूप है। यह सिक्खों की धर्म के प्रति आस्था को प्रकट करता है। हरि मन्दिर साहब सिक्ख गुरुओं की याद दिलाता है। यह स्थान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। ये स्थान हमारे मन में आस्तिकता की भावना और अपनी संस्कृति की रक्षा के भाव जगाते हैं। ऐसे स्थानों का सम्मान और उनकी रक्षा करना प्रत्येक भारतवासी का परम कर्त्तव्य है।
उपसंहर- अमृतसर का हरि मन्दिर एक पवित्र स्थल है। वहाँ जाकर हृदय को अपूर्व शान्ति मिलती है। यात्री वहां जाकर जो कुछ मांगते हैं, उनकी आशाएं पूर्ण होती हैं। भला भगवान के दरबार से कोई खाली लौट सकता है ? इस सरोवर का अमृत जल जो पीता है उसका मन स्वच्छता के निकट पहुंचने लगता है।
निबंध नंबर :- 02
मेरा प्रिय शहर
Mera Priya Shahar
मैं इण्डोनेशिया की राजधानी जकार्ता में रहता हूँ। यह एक पुराना मगर बड़ा और सुन्दर शहर है। इण्डोनेशिया सागर पर स्थित जकार्ता बहुत-सी चीजों के लिये प्रसिद्ध है। हज़ारों पर्यटक यहाँ प्रतिदिन आते हैं। जकार्ता की सडकें बहुत अच्छी और चौड़ी हैं फिर भी यहाँ पर सदैव वाहनों की भीड़ रहती है। जलान थामरिन यहां की सबसे व्यस्त सड़क है।
हमारे शहर के लोग बहुत सज्जन, सौम्य एवं मधुरभाषी हैं। खाने के शौकीन लोगों को जकार्ता में हर प्रकार का भोजन प्राप्त है। यहाँ ऊँची-ऊँची इमारतें हैं। हमारे यहाँ बहुत-से दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र है। विश्वप्रसिद्ध स्तूप बोरो बुदूर’ भी इण्डोनेशिया का मुख्य आकर्षण है.
जकार्ता को पहले बटाविआ के नाम से जाना जाता था। यह रहने के लिये एक बढ़िया जगह है। जकार्ता मेरा घर है। मुझे इससे असीम स्नेह है। मैं इसके अतिरिक्त कहीं और रहने की सोच भी नहीं सकता।