मेरा प्रिय मित्र
Mera Priya Mitra
राजू मेरा प्रिय मित्र है। वह मेरी कक्षा में ही पढ़ता है। हालाँकि वह अमीर है फिर भी उसे अपनी अमीरी पर तनिक भी अभिमान नहीं है। मेरे गरीब होने का उसने कभी उपहास नहीं उड़ाया। बल्कि वह आवश्यकता पड़ने पर मना करने के बावजूद मेरी मदद करता है। शायद यही सच्ची मित्रता है। प्रसिद्ध विचारक बेकन ने भी कहा है- “जिसकी उपस्थिति में दुख आधा हो जाए और सुख दोगुना, बस वही प्रिय मित्र है।” कहते हैं- जिसका कोई मित्र नहीं होता वह वस्तुत: निर्धन है। राम-सुग्रीव और कृष्ण-सुदामा की मित्रता के उदाहरण हमें आज भी आदर्श मैत्री का संदेश देते हैं। सचमच प्रिय मित्र वही है जो बुरे वक्त में काम आये। कवि रहीमदास ने इस संबंध में ठीक ही कहा है- “विपत्ति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।” अंग्रेजी में भी एक कहावत है- “मित्र वही है जो आवश्यकता के समय काम आए। ए फ्रेंड इन नीड, ए फ्रेंड इनडीड।” राजू मेरा ऐसा ही प्रिय मित्र है।