Hindi Essay on “Mele Ka Drishya ”, “मेले का दृश्य”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेले का दृश्य

Mele Ka Drishya 

भारतवर्ष त्यौहारों का देश है। यहाँ हर मौसम में कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है। त्यौहारों के अवसर पर जगह-जगह मेले लगाए जाते हैं। पिछले वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से नगर में कृषि मेले का आयोजन किया गया। कृषि विश्वविद्यालय लधियाना का इसके आयोजन में विशेष योगदान था। इस मेले में विभिन्न प्रदेशों ने अपने-अपने मंडप अथवा स्टाल लगाए हुए थे। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र ने गन्ने और गेंहूं की उपज से सम्बन्धित चित्रों का प्रदर्शन किया हुआ था। इसी प्रकार रसायनिक खाद, बीज, डीजल पम्प, मिट्टी खोदने के औजार, ट्रैक्टर आदि विविध कषि उपकरणों की भी प्रदर्शनी सजाई हुई थी। वहाँ जाकर पता लगा कि जापान ने कृषि के क्षेत्र में अद्भुत उन्नति की है। इसी मेले में अच्छी नसलों के पशुओं को भी लाया गया था। मेले में भाग लेने के लिए किसान भाई दूर-दूर से आए हुए थे। मेले से उन्हें फसल की पैदावार को बढ़ाने के नए-नए ढंगों का पता चला। मेले से उन्हें उन्नत खेती करने के उपायों की जानकारी प्राप्त हुई। मेले में भाग लेनेवाले प्रदेशों के लोकनर्तक भी आए हुए थे। सभी नृत्य एक-से-एक बढ़कर थे। वे अपने-अपने प्रान्त की सभ्यता दर्शा रहे थे। मुझे पंजाब का भंगड़ा सबसे अधिक अच्छा लगा। मैं अपने मित्रों के साथ लगभग 2 घण्टे तक कृषि मेला देखने के बाद घर लोटा। मेले का एक-एक दृश्य अब भी मुझे याद आता है और मैं आन्नदित हो जाता हूं।

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