Hindi Essay on “Loktantra me Press ke Bhumika”, “लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका”, Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका

Loktantra me Press ke Bhumika

 

लोकतंत्र के चार स्तंभ माने गए हैं। इसमें चौथा स्तंभ प्रेस है। इन्हीं चार स्तंभों पर हमारा लोकतंत्र टिका हुआ है। इसलिए सभी स्तंभों को सशक्त होना होगा। हमारे समाज में प्रेस की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह समाज का मार्गदर्शक होता है। आधुनिक युग में प्रेस को विभिन्न प्रकार के कार्यों को संपन्न करने का दायित्व सौंपा गया है। प्रेस का सबसे प्रमुख कार्य विश्व में घटित हो रही घटनाओं से हमें अवगत कराना है। जनता के अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के हनन के किसी भी प्रकार के प्रयत्न के विरुद्ध अपनी शक्तिशाली आवाज बुलंद करना है। यह समाज का प्रहरी होता है। यह लोगों की कठिनाईयों और शिकायतों को प्रकाश में लाता है। समाचारपत्र एक शिक्षक की भूमिका भी अदा करता है। अपने पाठकों को विश्व में प्रचलित विचारधाराओं तथा ज्ञान की विभिन्न शाखाओं से अवगत करा कर ज्ञान बढ़ाता है।

प्रेस को बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए हैं, इसलिए इसे कुछ स्वतंत्रता और विशेषाधिकार देना अनिवार्य है। लेकिन समय-समय पर विभिन्न देशों में प्रेस पर प्रतिबंध लगाया जाता रहा है। भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान प्रेस पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाए गए थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी आपातकाल के दौरान प्रेस पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे।

प्रेस प्रजातंत्रीय शासन के अंतगर्त स्वतंत्रता से कार्य करता है। उदाहरणस्वरूप ब्रिटेन में प्रेस को बहुत अधिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

लेकिन क्या प्रेस को पूर्णरूप से स्वतंत्र होना चाहिए? इस पर विचार करने से यह बात पता चलता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो है लेकिन इस पर कुछ युक्ति-युक्त प्रतिबंध लगाए जाएं। अगर सभी कुछ छापने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी जाए तो समाज में अराजकता फैल जाएगी। इसलिए इस पर कुछ प्रतिबंध भी लगाया गया है। जिससे किसी की भावना को ठेस न पहुँचे और किसी की व्यक्तिगत मानहानि भी नहीं हो।

प्रेस की स्वतंत्रता एक पवित्र विशेषाधिकार है लेकिन इसका सुचारु रूप से उपयोग करने के लिए बड़े धैर्य और व्यवहारकुशलता की आवश्यकता है। मानव सामान्य रूप से तीव्र मनोभावों तथा पक्षपातपूर्ण पूर्वाग्रहों के द्वारा प्रेरित तथा निर्देशित होता है। इस कारण समाचारपत्र लोकमत की संरचना करने में इन दोषों से स्वतंत्र नहीं है। सामान्यतः समाचारपत्र या चैनल किसी न किसी रूप से किसी न किसी राजनीतिक दल से संबंधित होते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि वह समाचारों, विचारों तथा अन्य विषयों को दल के अनुरूप अथवा उन व्यक्तियों के हितों के अनुरूप, जिनके वे अधीन हैं तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रकाशित करें।

हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतंत्रता निहित है। लेकिन इस पर कुछ युक्ति-युक्त प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। इसलिए पत्रकारों या प्रेस का दायित्व है कि अपनी सीमा का उल्लंघन किए बिना अपना कार्य पूरी सावधानी के साथ करें। समाज को दिशा प्रदान करना इनका प्रमुख कर्त्तव्य होता है। सरकार को भी दिशा-निर्देश यही प्रदान करते हैं। उन्हें जनता की भावनाओं से अवगत कराने का कार्य भी इसी पर है। देश की अन्य देशों में अच्छी छवि स्थापित करने का उत्तरदायित्व भी इसी पर है। इसलिए इसकी स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए। इसी से एक अच्छे और सुदृढ़ लोकतंत्र का निर्माण हो सकता है।

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