Hindi Essay on “Kisan Sankat : Vartman Sthiti aur Samadhan” “किसान संकट: वर्तमान स्थिति और समाधान ” Essay, Paragraph, speech for Students.

किसान संकट: वर्तमान स्थिति और समाधान 

Kisan Sankat : Vartman Sthiti aur Samadhan

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है, जहां लगभग 45% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन जीडीपी में इसका योगदान केवल 15% के आसपास है। हालांकि, किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।

किसान संकट के प्रमुख कारण:

मौसम की अनिश्चितता: हाल ही में, फरवरी 2025 में सामान्य से अधिक तापमान की भविष्यवाणी की गई है, जिससे गेहूं और सरसों की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आर्थिक दबाव: कृषि उत्पादों के कम मूल्य, उच्च उत्पादन लागत, और कर्ज के बढ़ते बोझ के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है।

बाजार तक पहुंच की कमी: कई किसानों के पास अपने उत्पादों को उचित बाजार तक पहुंचाने के लिए आवश्यक संसाधनों और जानकारी की कमी है, जिससे उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पाता।

 

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:

बजट 2025 में कृषि क्षेत्र के लिए बढ़ा आवंटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए 1,71,437 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 22% अधिक है।

दालों और कपास के उत्पादन को बढ़ावा: सरकार ने छह वर्षीय कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसके तहत राज्य एजेंसियां किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद करेंगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी। साथ ही, कपास के उत्पादन में वृद्धि के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री धन ध्यान कृषि योजना: इस योजना के तहत कम पैदावार, आधुनिक फसल गहनता, और औसत से कम ऋण मापदंडों वाले 100 जिलों को शामिल किया जाएगा, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा।

चुनौतियाँ और आगे की राह:

हालांकि सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव सुनिश्चित करना आवश्यक है। किसानों की आय में स्थिरता लाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग की जा रही है।

इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए उन्नत कृषि तकनीकों और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है।

निष्कर्ष:

किसान संकट एक जटिल मुद्दा है, जिसके समाधान के लिए सरकार, किसानों, और समाज के सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। नीतिगत सुधार, तकनीकी नवाचार, और किसानों की शिक्षा एवं सशक्तिकरण के माध्यम से ही इस संकट का स्थायी समाधान संभव है।

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