कैसे मनायी हम ने पिकनिक
Kaise manai humne Picnic
निबंध नंबर :- 01
पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एक दम स्फूर्ति ला देता है। मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी। परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था अतः उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवक्र्स पर जाकर पिकनिक मनायी जाए। अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गये। माधोपुर हैडवक्र्स हमारे शहर से लगभग 10 कि० मि० दूरी पर था अतः हम सब ने अपने-अपने साइकलों पर जाने का निश्चय किया। पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया क्योंकि उस दिन वहाँ बड़ी रौनक रहती है। रविवार वाले दिन हम सब ने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बाक्स तैयार किये तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकिलों पर रख लिया। मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी उसने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मन पसन्द गानों की टेपस् भी रख ली। हम सब अपनी-अपनी साइकिल पर सवार हो, हँसते गाते एक-दूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले। लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गये। वहां हम ने प्रकृति को अपनी सम्पूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे शीतल, और मन्द-मन्द हवा बह रही थी। हम ने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी। हमने वहाँ एक दरी, जो हम साथ लाये थे, बिछा दी। साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गये थे अतः हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया। हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फोटो उतारीं। थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकार्डर चला दिया और उसने गीतों की धुन पर मस्ती में भर कर नाचने लगे। कुछ देर तक हम ने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नजारा किया। दोपहर को हम सब ने अपने-अपने टिफन खोले और सबने मिल बैठ कर एक दूसरे का भोजन बाँट कर खाया। उस के बाद हम ने वहां स्थित कैनाल रेस्ट हाऊस रेस्टोरें में जाकर चाय पी। चाय पान के बाद हम ने अपने स्थान पर बैठ कर ताश खेलनी शुरू की। साथ में हम संगीत भी सुन रहे थे। ताश खेलना बन्द करके हमने एक-दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आप बीती हंसी मज़ाक की बातें बताईं। हमें समय कितनी जल्दी बीत गया इसका पता ही न चला। जब सूर्य छिपने को आया तो हम ने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े। सच ही वह दिन हम सबके लिए एक रोमांचकारी दिन रहा।
निबंध नंबर :- 02
पिकनिक कैसे मनाई
Picnic Kaise Manai
आज मानव का जीवन व्यस्त हो गया है। वह मशीन की भान्ति दिन-रात काम में मग्न रहता है। वह कभीकभी अपने अवकाश के क्षणों में मनोरंजन के लिए लालयित हो उठता है। मनोरंजन के अनेक साधनों में से पिकनिक भी एक साधन है। पिछली गर्मियों की छुट्टियों में हम मित्रों ने पिकनिक मनाने का मन मनाया। हम सब की एक ही राय थी कि इस बार पिकनिक अपने क्षेत्र में पड़ती नदी के तट पर मनाएगें। हम कुल छ. मित्र थे। हमने प्रातः छ० बजे अपने साथ खाने-पीने का सामान एक टेपरिकार्ड तथा एक कैमरा साथ लिया और किराए की वैन में बैठकर लगभग दो घण्टे का सफर तय करके पहाड़ी नदी के किनारे जा पहुंचे। वहाँ चारों ओर प्राकृतिक सुन्दरता बिखरी हुई थी। नदी का पानी अत्यन्त स्वच्छ और शीतल था। पानी तेज गति से कल-कल की ध्वनि करता हुआ बह रहा था। नदी के तट पर दोनों और घने छायादार वृक्ष खड़े थे। पक्षियों की चहचहाहट वातावरण को मधुर बना रही थी। हमने सर्वप्रथम गीत गाए। टेपरिकार्ड के गीतों की लय पर नाच किया। सबने मिलकर गर्म खाना खाया। नदी के तट पर बैठ कर खाना खाने का जो आनन्द आया वह आज भी याद है। बीच-बीच में हंसी मजाक भी होता रहा। हमारा एक मित्र चुटकुलों का माहिर है। उसने अच्छे-अच्छे चुटकले सुनाकर मनोरंजन किया। कुछ देर बाद हम सबने नदी में स्नान किया। नदी का बहाव तेज होने के कारण उसके भीतर कोई नहीं गया। नहाने का कार्यक्रम एक घण्टे तक चलता रहा। दिन ढलने वाला था। साय हो रही थी। हमने अपना सामान समेटा और वैन में बैठकर घर पहुंच गए। हम सबने पिकनिक का भरपूर आनन्द उठाया।