जीवन में खेलों का महत्त्व
Jeevan me Khelo ka Mahatva
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मनुष्य को सब प्रकार की आवश्यकताएँ होती हैं। शारीरिक, मानसिक और आमिक विकास-ये तीनों ही मनुष्य को जीवन में सफल बनाने के लिए पूर्ण रूप से सहायक होते हैं। तीनों का योगदान ही जीवन को विकसित और पूर्ण बनाता है। अगर इनमें से किसी एक का अभाव होगा, तो जीवन पूर्णरूप से विकसित नहीं हो सकेगा। इसलिए हमें तीनों ही आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से प्राप्त करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए ?
यों तो जीवन की सफलता के लिए शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों । में से कोई भी एक शक्ति किसी से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन शरीरिक शक्ति की आवश्यकता इनमें से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। शारीरिक शक्ति के विकास के लिए हम कोई-न-कोई शारीरिक काम किया करते हैं। शरीर की पूर्ण रूप से स्वस्थ, प्रसन्न और चुस्त बनाने के लिए कई प्रकार के शारीरिक कार्य किए जाते हैं। दिन भर कोई-न-कोई कार्य करते रहना भी शारीरिक शक्ति के विकास के मुख्य रूप हैं। शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ और निरोग रखने के लिए खेलकुद का महत्त्व बहुत अधिक है। बिना खेलकुद के जीवन अधूरा रह जाता है। कहा भी गया है कि ‘‘सारे दिन काम करना और खेलना नहीं, यह होशियार को मूर्ख बना देता है।”
All work and no play,
Jack a dull boy.
इसलिए जीवन के विकास के लिए किसी-न-किसी खेल का महत्त्व निश्चय ही होता है।
खेल से हमारा जीवन अनुशासित और आनन्दित होता है। जो विद्यार्थी दिन-रात पढ़ने में लगा रहता है, उसका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में खेल ही शरीर में पुनः काम करने की शक्ति लाने में सहायक है। केवल काम में तल्लीन रहना अथवा केवल खेल में व्यस्त रहना कोई अच्छी बात नहीं। जीवन में गतिशीलता तभी आती है, जब हम खेलने के समय खेलते हैं और काम करने के समय काम करते हैं।
खेल मनोरंजन की सामग्री भी जुटाते हैं। खिलाड़ियों अथवा खेलों के प्रेमी दोनों को ही खेलों से भरपूर मनोरंजन मिलता है। ऐसे लोगों को भाग्यहीन ही कहना चाहिए, जो खेलों से प्राप्त मनोरंजन के महत्त्व को नहीं जानते।
खेल, खिलाड़ी को अपनी आत्मा है। ‘खेल की भावना’ उसकी आत्मा का श्रृंगार है। प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी इस पवित्र भावना पर गर्व होता है। यही पुण्य-भावना खिलाड़ी को आपसी सहयोग, संगठन, अनुशासन एवं सहनशीलता की शिक्षा देती है। खेलने वालों में संघर्ष से लड़ने की शक्ति आ जाती है। खेल में विजय की दशा में उत्साह और हारने की अवस्था में सहनशीलता का भाव आता है। खेलते समय न तो कोई खिलाड़ी विजय प्राप्त करने के लिए अपने विरोधी कों अनुचित ढंग से परास्त करने की सोचता है और न ही पराजय की अवस्था में प्रतिशोध की आग में जलता है। इसके विपरीत खिलाड़ियों का विश्वास होता है कि उसकी असफलता-सफलता का सन्देश लेकर आई है।
खेल से अनुशासन की शिक्षा मिलती है। खेल खेलने से हमें कोई भी काम – नियमपूर्वक करने की शिक्षा मिलती है। इससे हमारा जीवन महान् बनता है। हम समाज में आदर और महत्त्व को प्राप्त करते हैं। इससे हम उत्साह प्राप्त करके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। अगर हम किसी काम में असफल भी हो जाते हैं तो भी हम हिम्मत नहीं हारते, बल्कि और दुगुने उत्साह से काम करने लगते हैं।
इस प्रकार हमारे जीवन में खेलों का विशेष महत्त्व है। इनसे हमारा जीवन सम्पन्न और खुशहाल बनता है। इसे ध्यान में रख करके हमें खेलों में रुचि रखनी ।