Hindi Essay on “Independence Day ”, “स्वतन्त्रता दिवस”, Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

स्वतन्त्रता दिवस

Independence Day 

 

15 अगस्त सन् 1947 ई. के दिन हमारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से स्वतन्त्र । हुआ था। इसलिए हम लोग 15 अगस्त के दिन को ‘स्वतन्त्रता पर्व’ के रूप में । हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

हमारा देश अनेक वर्षों तक मुगलशासकों का गुलाम बना रहा। मुगलों ने लगभग 1200 वर्ष तक भारत पर शासन किया। मुगल शासन काल में भारत की सत्ता टुकड़ों में बँटी हुई थी तथा एक प्रांत या शहर का नया राजा होता था। ये राजा लोग प्रजा के दुःख दर्दो से अनभिज्ञ होकर प्रतिदिन भोग-विलासों में ही डूबे रहते थे। जनता से मनमाना कर वसूलते हुए उन पर अत्याचार किया करते थे। स्त्री, धन और राज्य को पाने के लिए ये अपने पड़ोसी राजाओं से लड़ जाते थे तथा राजगद्दी को हथियाने के लिए अपने बंधु-बांधवों तथा पिता के साथ भी विश्वासघात कर दिया करते थे।

स्वयं मुगल सल्तनत के साथ भी ऐसा कई बार हुआ। मुगलों में औरंगजेब जैसे धार्मिक कट्टर शासक भी हुए जो राज्य की हिन्दू जनता पर सख्ती बरतते थे तथा उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए जोर डालते थे।

शनैः-शनैः मुगलों की राज्यसत्ता कमजोर होने लगी। जब अंग्रेज लोग भारत में व्यापार करने के लिए आए, उस समय भारत में बहादुरशाहजफर का शासन था। वह भारतवर्ष का अन्तिम मुस्लिम शासक था। उसने अंग्रेजों की बनाई हुई ईस्ट इण्डिया कम्पनी को भारत में व्यापार करने की अनुमति दे दी थी।

फिर क्या था, अंग्रेजों के पैर भारत की धरती पर आने के लिए हमेशा के लिए खुल गए। कुछ समय तक अंग्रेज हमारे देश में व्यापारिक कार्यों में लगे देश की सत्ता पर अधिकार कर बैठे। अंग्रेजों के पास बन्दूक और तोप जैसे आधुनिक हथियार थे। उन्होंने दिल्ली के सम्राट बहादुरशाहजफर को कैद के रंगून भेज दिया और उसके पुत्रों को उसकी आँखों के समाने ही मरवा डाला।

अंग्रेजी शासन का जिस किसी भी हिन्दू सम्राट ने विरोध करना शुरू किया, अंग्रेज अपनी सैन्य शक्ति के साथ उसे कुचलते गए। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने भी अंग्रेज सत्ता के विरोध में तलवार उठाई और वे शहीद भी हुई परन्तु अंग्रेजों को भारत से न भगाया जा सका। करीब दो सौ वर्ष तक अंग्रेज लोग भारत पर शासन करते रहे और हमारे देश की निर्दोष मजबूर जनता पर मनमाने अत्याचार करते रहें।

महात्मा गाँधीजी हमारे देश के ऐसे पहले स्वतन्त्रता सेनानी थे। जिन्होंने सर्वप्रथम सत्य, अहिंसा की शक्ति से अंग्रेजों का विरोध किया। सुभाष चन्द्रबोस ने आजाद हिन्द फौज’ का निर्माण करके अंग्रेजों की सैन्य शक्ति  को कुचलने की ठानी। उनका नारा था-“तुम मझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”

आजादी की लड़ाई में महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र बोस के अतिरिक्त सरदार भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, जैसे देश-भक्त युवक भी थे। इन्होंने भारत माँ को स्वतन्त्र कराने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था लेकिन अंग्रेज सरकार के आगे घुटने न टेके।

सागरमल गोपा और वीर सावरकर को अंग्रेजों ने जेल में अनेक प्रकार की यातनाएँ दीं, उनके अंगों में मिर्ची भर दी गई, मिट्टी का तेल डालकर उन्हें जिन्दा जलाया गया लेकिन फिर भी वे “भारत माता की जय” बोलते रहे।

जलियाँवाला बाग में क्रान्तिकारी सभा करते हुए अनेक स्वतन्त्रता सेनानियों के ऊपर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ बरसवाई जिसमें हजारों लोग शहीद हुए। पुरुषों के साथ-साथ भारत की वीर नारियों ने भी स्वतन्त्रता आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, अंग्रेजों की मार सही और जेल भी गई लेकिन उन्होंने भारत माँ को स्वतन्त्र कराने का ऐलान नहीं छोड़ा।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ग्रेट ब्रिटेन (अंग्रेजों का देश) आर्थिक दृष्टि से टूट चुका था। जव राष्ट्र की आजादी को लेकर अंग्रेजों के विरुद्ध देश में हिंसाएँ भड़कने लगी तो अंग्रेज सरकार घबरा उठी। जब नौसेना के भारतीय कर्मचारियों ने भी अंग्रेजों का विरोध करना शुरू किया तो भारत में ब्रिटिश सत्ताके पाँव उखड़ने लगे। इन सब कारणों से अंग्रेज भारत को स्वतन्त्रता देने के लिए राजी हो गए।

15 अगस्त का त्योहार देश की राजधानी दिल्ली में खूब धूमधाम के साथ। मनाया जाता है। इस दिन लालकिले पर बहुत सारे लोगों की भीड़ जमा होती है। देश के प्रधानमन्त्री लालकिले पर तिरंगा झण्डा फहराते हैं तथा अपने भाषण के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने और उसे प्रगति के पथ पर ले जाने का संकल्प दोहराते हैं।

ध्वजारोहण के समय राष्ट्रीय ध्वज को 31 तोपों की सलामी दी जाती है। इस दिल सुबह लालकिले के सामने सेना की तीनों टुकड़ियों की परेड होती है। तथा छात्र सैन्य के दल भी देश के प्रधानमन्त्री को सलामी देते हैं।

महर्षि अरविन्द का जन्म तथा स्वामी रामकृष्ण परमहंस का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था। 15 अगस्त सन् 1947 के दिन ही यूनियन जैक को लालकिले से उतारकर तिरंगा फहराया गया था।

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